महिमा तिवारी
अगर हाथ-पैरों और मुंह खासकर जबड़े के साथ शरीर में लगातार कंपन की दिक्कत हो तो ध्यान दें। यह पार्किंसन की गम्भीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष राजेश वर्मा के अनुसार पार्किंसन रोग होने के बाद हाथ-पैरों और मुंह खासकर जबड़े में कम्पन की समस्या शुरू हो जाती है। नींद न आने के अलावा कभी कभी मरीज को नींद बहुत आती है। मांसपेसियों में अकडऩ आ जाती है। पेट का साफ न होना यानि कब्ज रहना भी पार्किंसन का एक लक्षण है। डॉ. वर्मा ने बताया कि मरीज की चाल पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। मरीज को चलते समय संतुलन बनाए में दिक्कत आती है। इसी कारण रोगी धीमी चाल से आगे की ओर झुककर चलता है। उनका कहना है कि ऐसा होने पर तत्काल चिकित्सक से राय लें। अगर समय से इलाज शुरू न करें तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।
संजय गांधी पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में हर माह 200 के करीब मरीज ऐसे आते हैं जिनमें पार्किंसन के लक्षण मिलते हैं। इसमें से 95 फीसद मरीज 60 साल से अधिक उम्र के हैं। लोहिया संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ का कहना है कि पार्किंसन एक आनुवांशिक रोग है। अगर किसी परिवार में पार्किंसन का रोगी हो तो परिवार के सदस्यों को बीमारी के प्रति सतर्क रहना चाहिए। इतना ही नहीं 55 साल की उम्र के बाद से रोग को लेकर जरूरी जांचे कराते रहें।
दवा व व्यायाम करते रहें
डाक्टरों का कहना है कि पार्किंसन रोग के लिए कोई सटीक इलाज अभी उपलब्ध नहीं है। दवाओं और अन्य तरीको से रोग पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। दवा और नियमित व्यायाम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। मरीज को ऑक्यूपेशनल थेरेपी की सलाह दी जाती है। जिन मरीजों को बोलने या खाने में दिक्कत होती है उन्हें स्पीच थेरेपी से राहत मिलती है।