विश्व ल्यूपस दिवस पर जागरूकता आयोजन
विश्व ल्यूपस दिवस (World Lupus Day) के उपलक्ष्य में क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रूमेटोलॉजी फाउंडेशन द्वारा क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रूमेटोलॉजी विभाग के सहयोग से “इनस्पायर ल्यूपस इंडिया” शीर्षक से एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य ल्यूपस रोग के प्रति जनसामान्य में जागरूकता फैलाना, मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना और इस रोग से जूझ रहे रोगियों की संघर्ष यात्रा का सम्मान करना था।
कार्यक्रम में विभाग की प्रमुख विशेषज्ञ प्रोफेसर अमिता अग्रवाल और प्रोफेसर रुद्रा ने ल्यूपस के वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ल्यूपस एक गंभीर ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं के ऊतकों और अंगों पर आक्रमण करने लगती है। यह रोग त्वचा, जोड़ों, गुर्दे, हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।
उन्होंने बताया कि ल्यूपस के सामान्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द व सूजन, अत्यधिक थकान, बुखार, बाल झड़ना तथा चेहरे पर तितली के आकार का चकत्ता शामिल हैं। इसका समय पर निदान एवं उपचार अत्यंत आवश्यक है, जिससे रोग की तीव्रता को नियंत्रित किया जा सके और रोगी की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।
वर्तमान में ल्यूपस का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं, इम्यूनोसप्रेसेंट्स, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और आधुनिक बायोलॉजिक्स जैसी दवाओं के माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि नियमित चिकित्सकीय निगरानी और अनुशासित जीवनशैली अपनाकर ल्यूपस रोगी एक सामान्य, सक्रिय और उत्पादक जीवन जी सकते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत मानसिक शांति हेतु आयोजित ध्वनि स्नान ध्यान सत्र से हुई, जिसका संचालन मुदिता श्रीवास्तव ने किया। इसके बाद मरीजों और उनके परिजनों के लिए रोचक प्रश्नोत्तरी, संवाद सत्र और एक प्रेरणादायक फैशन वॉक का आयोजन किया गया। “ओपन हाउस” सत्र में रोगियों ने अपने सवाल सीधे विशेषज्ञों से पूछे और व्यावहारिक समाधान प्राप्त किए।
फैशन वॉक में ल्यूपस वॉरियर्स ने रैम्प पर आत्मविश्वास से चलकर यह संदेश दिया कि बीमारी से लड़ाई सिर्फ शरीर की नहीं, आत्मा की भी होती है और यह लड़ाई जीती जा सकती है।एम एम एस ओ मुनीब की कार्यक्रम के संचालन में अहम भूमिका रही।