डॉगी और किट्न जैसे पेट्स घर में हों तो हाइडाटिड डिजीज का खतरा रहता है। यह बीमारी एक तरह से कैंसर की तरह होती है और इसका असर जिस ऑर्गन तक पहुंचता है, उसे डैमेज कर देता है। एम्स में हाइडाटिड के मरीज की पुष्टि हुई थी, जिन्हें बोन में यह इन्फेक्शन हो गया था। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का असर ब्रेन, लीवर और लंग्स में भी होता है। यंग मरीजों में ब्रेन का दौरा पड़ने की कॉमन वजह हाइडाटिड डिजीज होती है।
एम्स के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ राजेश मल्होत्रा ने बताया कि जब यह वायरस बोन में पहुंचता है तो उसे खोखला बना देता है। अमूमन जो पेट्स के साथ रहते हैं, उनमें इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। खासकर जो लोग साफ-सफाई के प्रति अवेयर नहीं होते, उन्हें बीमारी होने का रिस्क भी ज्यादा होता है। इस बारे में मूलचंद के डॉ श्रीकांत शर्मा का कहना है कि डॉगी और बिल्ली के संपर्क के अलावा ‘अंडर कुक्ड एनिमल प्रॉडक्ट’ यानि कच्चा मीट खाने की वजह से भी होता है। इसी तरह पेट्स कच्चा मीट खाते हैं तो हाइडाटिड टेपवर्म अंडा उनमें पहुंच जाता है। जब इंसान पेट्स के संपर्क में आता है तो इन्पेक्शन इंसान के बॉडी में एंट्री कर जाता है।
डॉक्टर शर्मा ने कहा कि जब यह अंडा ह्यूमन बॉडी में एंट्री करता है तो यह ब्लड के फ्लो के साथ कहीं भी जा सकता है। अमूमन यह लीवर, ब्रेन और लंग्स में जाता है। जहां यह जाता है वहां पर मल्टीपल तरीके से अपनी तादाद बढ़ाता है और उस स्थान पर सिस्ट बना देता है, इसे हाइडाटिड सिस्ट कहते हैं।