एलोपैथी में एमबीबीएस की डिग्री लेकर निकलने वाले छात्रों को आयुर्वेद की भी समझ होगी। इलाज की इस पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए एमबीबीएस पाठ्य में जड़ी बूटी की बेसिक जानकारी पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी।
भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद की महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि आयुर्वेद को स्वास्थ्य चिकित्सा के लिए इस्तेमाल करने के लिए उसे एलोपैथी के मानको पर साबित करना होता है। दोनो विधा यदि साथ मिलकर काम करें तो चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ नया किया जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को दिए गए एक प्रस्ताव में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा विधि को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कहा गया है। जिससे एमबीबीएस पास करने वाले छात्र जड़ी बूटी और औषधियों की जानकारी भी हासिल कर सकें। दरअसल आयुर्वेद के कुछ शोध को एलोपैथी के मानको पर सिद्ध नहीं हो पाते, इसलिए बीच का ऐसा रास्ता निकालने पर विचार किया जा रहा है, जिससे दोनो विधाओं को एक पटरी पर लाकर शोध किए जा सकें।