दोपहर बाद बंद हुईं दवा दुकानें

नई दिल्ली: एम्स से ठीक सामने करीब एक दर्जन दवा दुकानों में केवल एक ही खुली मिली, जहां दवा लेने के लिए भारी संख्या में मरीजों की भीड़ थी। नजर आसपास की अन्य दुकानों पर गई तो पता चला कि सभी दुकानें दोपहर एक बजे के बाद से बंद कर दी गई हैं। मरीजों के परिजन फोन करके अपनों को नोट न चलने और दवा न मिलने की सूचना दे रहे थे।

सफदरजंग मेडिकोज पर भी दोपहर 2.15 तक कैश पूरी तरह खत्म हो चुका था, केवल सर्जिकल सामान के मरीजों का ही बिल काटा गया। भूटानी मेडिकोज के अमन भूटानी ने बताया कि जब कैश ही नहीं है गल्ले में तो मरीजों को दवा कैसे दी जाए? इस वजह से दोपहर में दुकानें बंद कर दी गईं, हालांकि दोपहर बाद नकद का इंतजाम होने पर दोबारा दुकानें खोली गईं। सरकार ने आदेश दे दिया कि दवा दुकानों पर 500 और 1000 रुपए का नोट स्वीकार किया जाएगा, लेकिन यहां हर कोई यही नोट लेकर आ रहा है। अब जरूरी तो नहीं कोई पूरी हजार की ही या फिर 500 रुपए की ही दवा खरीदे।

दवा दुकानें बंद होने का असर एम्स की अमृत फार्मेसी पर भी पड़ा, जहां जरूरत के हिसाब से केवल उन्हीं लोगों को दवा दी गईं, जिनका बिल एक हजार या 500 के करीब था। देर शाम तक दवा न मिलने के कारण मरीजों में अफरा तरफी मच गई, जबकि दवा विक्रेता बिना कैश के गुरूवार को भी दुकान न खोलने की बात कह रहे हैं। ऑल इंडिया ड्रगिस्ट एंड फार्मासिस्ट एसोसिएसन के कैलाश गुप्ता ने बताया कि मंगलवार शाम आठ बजे के बाद ही दवा की बिक्री में 60 प्रतिशत का इजाफा हुआ है लोग चार से छह महीने की दवा एक साथ ले रहे हैं। हालांकि नकद न होने के कारण किसी भी तरह से दवा दुकान बंद न करने की बात से कैलाश गुप्ता ने इंकार किया।

महंगे दाम पर भी ली दवा
एम्स के कार्डियोेलॉजी विभाग में सुमित की मां भर्ती है। जरूरी दवाओं का बिल कुल 459 बना, सुमित 500 रुपए लेकर दुकान पर पहुंचे। खुल्ले न होने पर सुमीत ने 500 का ही नोट दे दिया और बचे 31 रुपए छोड़ दिए। 50 और 100 रुपए का स्टॉक बचाने के लिए विके्रताओं ने दवाएं महंगी बेची या फिर बचा पैसा मरीजों ने स्वेच्छा से नहीं लिया। सुमित ने बताया कि मां की दवा जरूरी थी, 31 रुपए छोड़ दिए, लेकिन दवा नहीं छोड़ सकता था। हालांकि दवा विक्रेताओं ने बढ़े या अतिरिक्त दाम पर दवा बेचने की बात से इंकार किया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *