नई दिल्ली: अब डिवाइस प्रदूषित हवा को बॉडी के अंदर जाने से रोकेगा। एयरलेंस नाम के इस डिवाइस का लांच करते हुए एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह सस्ता और यूज करने में आसान है। जिस प्रकार पल्यूशन की वजह से मौतें हो रही है, उसे देखते हुए ऐसे उपकरण आज की जररूत है। 15 रुपये का यह डिवाइस नाक में लगाया जाता है। नाक में दोनों छेद में यह फिट हो जाता है और फिर पल्यूशन के कण को अंदर जाने नहीं देता है। हालांकि अभी यह डिवाइस सिर्फ छह से चौदह साल के बच्चे के लिए ही डिजाइन की गई है। आने वाले समय में यह बड़े लोगों के लिए भी डिजाइन की जाएगी।
इस दौरान डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पल्यूशन एक बड़ी समस्ज्ञया बनती जा रही है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बाजार में तरह तरह के उपकरण हैं, जिसमें एयर प्यूरीफायर भी हैं। अस्थमा के मरीजों को इससे फायदा हो रहा है या नहीं इसके बारे में पता नहीं है। इसकी क्वालिटी की परख के बारे में किसी का जानकारी नहीं है। एम्स और आईआईटी दिल्ली ने मिलकर इस डिवाइस को तैयार किया है। इस नेजल डिवाइस को नाक के अंदर पहना जा सकता है, यह सिर्फ दो सेमी का डिवाइस है, जो यूज एंड थ्रो बेस्ड है। रिसर्च शशि रंजन ने कहा कि यह यूज करने में काफी आसान है और सस्ता है। इस डिवाइस को पांच लोगों ने तैयार किया है जिसमें शशि रंजन के अलावा देवायन शाह, योगेश अग्रवाल, डॉक्टर हर्ष सेठ, आकांक्षा गुप्ता शामिल हैं।
इस डिवाइस की बनाने वाले साइंसटिस्ट का कहना है कि अलग अलग लोगों के नाक साइज अलग अलग होता है, उसी अनुसार डिजाइन किया जाएगा। उनका कहना है कि अभी लोग मास्क यूज करते हैं, लेकिन पूरे दिन मास्क पहन कर रहना आसान नहीं होता है, ऐसे में यह डिवाइस आसानी से यूज किया जा सकता है। यह आसान और सस्ता है। एक डिवाइस पूरे दिन यूज किया जा सकता है, इस तरह पूरे महीने में 450 से 500 रुपये का खर्च आएगा।