सामान्य दिखने वाले बच्चे भी कभी कभी असामान्य व्यवहार कर देते हैं। सामाजिक परिवेश बदलने के साथ ही बच्चों के सोच में भी बदलाव आया है, यह बदलाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से देखा जा रहा है। दिल्ली एनसीआर सहित सात राज्यों में बाल मनोव्यवहार पर अध्ययन करने के लिए यूके के मनोचिकित्सक फिलिप ग्राहम राजधानी में थे। निजी और सरकारी स्कूल के 5000 बच्चों की मनोदशा का अध्ययन यह बताता है कि बच्चों के व्यवहार को समझने के लिए केवल साथ रहना ही काफी नहीं है, उनकी नियमित दिनचर्या और आदतों में कुछ विशेष बातों पर ध्यान देना होगा।
लाइफ कोच और हीलर अमरजीत सिंह ने बताया कि व्यवहार परिर्वतन को देखते हुए अब मेंटल हेल्दी स्कूल कांसेप्ट का खाका तैयार किया जा रहा है। जिसके लिए केवल माता पिता ही नहीं स्कूल में बच्चों के साथ समय बिताने वाले अध्यापकों को भी व्यवहार समझने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए दिल्ली सरकार के स्कूल के 700 अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया गया है। मेंटली हेल्दी स्कूल के तहत प्रो. ग्राहम और उनकी पत्नी नूरी ग्राहम के अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि जेनरेशन गैप और कम्यूनिकेशन गैप माता पिता सहित बच्चों की परेशानी का कारण बन रहा है। अध्ययन के दौरान पन्द्रह दिन तक विभिन्न आय वर्ग के बच्चों के साथ दो से तीन घंटे का समय बिताया गया। सैंपल सर्वे में चयनित किए गए उच्च आयवर्ग के 30 प्रतिशत बच्चों में एडीएचडी (अटेंशन डिफेसिट हाइपरएक्टिव डिस्आर्डर) सिंड्रोम देखा गया, जो किसी तरह का मानसिक रोग नहीं है, जबकि मध्यम आय वर्ग के 40 प्रतिशत बच्चे एनजाइटी डिस्आर्डर के शिकार है, जबकि निम्न आय वर्ग के 50 प्रतिशत बच्चों अबेसिव बिहेव्यिर की समस्या देखी गई। डॉ. किरन कहती हैं कि दिल्ली सरकार के मेंटल हेल्थ एक्ट के तहत हेल्दी स्कूल को लागू किया जाएगा, छह से आठ घंटे में स्कूल में बिताने के बाद भी अध्यापक बच्चों के व्यवहार से वाकिफ नहीं होते। अध्ययन में चार साल उम्र से 12 साल के बच्चों को शामिल किया गया।
समझे बच्चों का व्यवहार
1.अधिक गुस्सा- एडीएचडी, हाइपर एक्टिवटी डिस्आर्डर के शिकार ऐसे बच्चे छोटी बात पर भी नाराज हो जाते हैं, यह समस्या उच्च आय वर्ग के हर दसवें बच्चे में देखी जा रही है। कई बार गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि वह चीजें तोड़ने लगते हैं। ऐसा व्यवहार सप्ताह में तीन बार से अधिक सामने आए तो मनोचिकित्सक को दिखाएं।
2. जिद करना- जिद करना बच्चों की आदत होती है यह सोचकर माता पिता हर तरह की जिद पूरी करते हैं, लेकिन यह आदत उनके व्यवहार को बदल सकती है। पांच से दस साल की उम्र में जिद करने की आदत 12 से 13 साल की उम्र तक बच्चों को नैचुरली वाइल्ड बना देती है, जिसका आश्य है कि वह ना सुनने के आदी ही नहीं रहते।
3. बिल्कुल जिद न करना- निम्न आय वर्ग के 50 प्रतिशत जिन बच्चों में अबेसिव बिहेवियर देखा गया, यह वह बच्चे जिनकी बातों को कम सुना जाता है या फिर माता पिता उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते। इस वर्ग के बच्चे सबसे अधिक घरेलू प्रताड़ना के शिकार होते हैं। चुप रहना या फिर कम दोस्त बनाना भी इस परेशानी एक लक्षण हो सकता है।
4. अपनी चीजें शेयर न करना- बच्चे अपनी चीजों से प्यार करते हैं, यह साधारण व्यवहार हो सकता है, लेकिन बाल मनोरोग के अध्ययनक कहते हैं कि अपनी चीजें शेयर न करने वाले बच्चे सेल्फ कंसरटेट हो सकते हैं। यह व्यवहार बड़े होकर उन्हें खुद का अधिक ध्यान रखना या फिर अपनी सहूलियत के लिए कुछ भी करने को प्रेरित करता है।
5. कंप्यूटर से चिपके रहना- दस प्रमुख बिन्दुओं पर किए गए प्रश्न में यह भी सामने आया कि छह साल की उम्र के बाद आठ बजे के बाद का समय बच्चों का कंप्यूटर के साथ बीतता है। अगर ऐसा है तो ऐसे समय में बच्चों के दोस्त बनें, कंप्यूटर से नजदीकी उन्हें बहन भाई सहित माता पिता से भी दूर कर सकती है।
6. एकाग्रता में कमी- पढ़ना जरूरी है लेकिन हर बच्चा पढ़ना नहीं चाहता, एलडी या लर्निग डिस्आर्डर के शिकार अधिकांश बच्चे पढ़ाई से जी चुराते हैं, इसलिए उनमें पढ़ने के समय एकाग्रता की कमी देखी गई है। यदि ऐसा है तो उनमें अन्य हुनर को तलाशने की कोशिश करें।
7. उदास रहना- बच्चे आसानी से अपनी भाव को माता पिता को नहीं समझ पाते, गुस्से में बोले गए शब्द को बड़े कुछ समय बाद भूल जाते हैं, लेकिन बच्चे ऐसे बातों को दिल से लगा लेते हैं। दोस्तों के बीच कहे गए माता पिता के कठोर शब्दों को वह अपमान मानते हैं, ऐसी किसी घटना के बाद बच्चा यदि मायूस या उदास है तो उसके साथ समय बिताएं।
8. सीरियल पर रखें नजर- कुछ विशेष तरह के काटूर्न चरित्र बच्चों के व्यवहार को आक्रामक बनाते हैं, यदि आपके बच्चे की पसंद भी ऐसे ही कार्टून पात्र हैं तो उसे उसके फायदे और नुकसान बताएं। इसकी जगह मनोरंजन के अन्य साधनों को अपनाने पर जोर दें।
9. भाई बहनों से व्यवहार- परिवार के बीच रहकर बच्चा सामाजिक मूल्यों को समझता है.
10. स्कूल में दोस्तों के साथ उसका कैसा व्यवहार है इस बात का आंकलन नहीं किया जा सकता, लेकिन भाई बहन के प्रति उसके व्यवहार को देखकर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं।