नई दिल्ली,
तंबाकू सेवन को लेकर सरकार द्वारा जारी की गई चेतावनियों का अच्छा असर हुआ है, कैंसर के कुल मामलों में अब ओरल कैंसर के मरीज कम देखे जा रहे हैं, जबकि शराब का सेवन बढ़ने की वजह से लिवर कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दिल्ली राज्य कैंसर चिकित्सा संस्थान और रोश फार्मा ने वल्र्ड कैंसर दिवस के मौके पर लिवर कैंसर को लेकर सीएमई का आयोजन किया। जिसका विषय था, मैनेजमेंट ऑफ लिवर कैंसर -डायग्नोसिस टू एडवांस थेरेपीज”.
इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉक्टर किशोर सिंह ने जानकारी दी कि 89 में से एक व्यक्ति को लिवर कैंसर होने का खतरा रहता है। 2020 में लिवर कैंसर के भारत में 26 हजार मामले सामने आए। टोबैको कंट्रोल के चलते जहां ओरल कैंसर के मामलों में कमी आई है वहीं दूसरी तरफ शराब के सेवन की बढ़तरी ने लिवर कैंसर के मामलों को बढ़ाया है। जांच से लेकर उपचार के अलग अलग तरीके और सुविधाएं तो बढ़ी हैं पर इस बीमारी से बचने को लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। साथ ही अगर सही से प्लानिंग की जाए तो इस बीमारी को टाला जा सकता है।
शालीमार बाग मैक्स हॉस्पिटल के मेडिकल ऑनकोलॉजी के निदेशक डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित के मुताबिक लिवर कैंसर के 70 – 80% मामले प्रीवेंटेबल हैं। शराब का सेवन हमारी जिंदगी में बढ़ा है जिसकी वजह से शराब अब लाइफस्टाइल का हिस्सा है ऐसे में महज़ शुरुआती लक्षणों पर गौर किया जाए और स्क्रीनिंग करवा ली जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
इस कार्यक्रम में 31 नर्स को ऑनकोलॉजी नर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम – ए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम को पूरा करने पर सर्टिफिकेट दिया गया। क्लिनिकल ऑनकोलॉजी की प्रमुख डॉक्टर प्रज्ञा शुक्ला ने कहा कि सबको मिलकर कैंसर डे की थीम “क्लोज द केयर गैप” के लिए मिलकर काम करना होगा। तभी इस बीमारी को दूर रखा जा सकता है।
दिल्ली राज्य कैंसर चिकित्सा संस्थान में ये कार्यक्रम डीएससीआई और रोश फार्मा के हाथ मिलाने के साल पूरा होने पर विश्व कैंसर डे के मौके पर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को संस्थान के गैस्ट्रो