नई दिल्ली: सर्दियां ज़ुकाम और फ्लू का मौसम होती हैं। ज़ुकाम, खांसी और फलू के मामले इन दिनों में बढ़ने लगते हैं। हवा में मौजूद नवी के ज़रिए ख़ांसी का संक्रमण माहौल में आसानी से फैल सकता है और दूसरों को संक्रमित कर सकता है। एचसीएफआई के प्रेसीडेंट डॉ केके अग्रवाल ने बताया कि जब हम खांसते या छींकते हैं तो हम सांस प्रणाली में मौजूद गंदगी को बाहर निकालते हैं, जो कि बेहद महीन बूंदे भी हो सकती हैं या हवा युक्त नमी के कण हो सकते हैं जो 5 माइक्रोन से भी छोटे होते हैं; दोनों के अपने-अपने प्रभाव होते हैं। यह नमी कण कुछ ही समय के लिए हवा में रहते हैं और 3 फिट से कम दूरी में एक दूसरे से संपर्क में आने से मानव से मानव में यह सांस प्रणाली का संक्रमण फैलता है। फ्लू के मामले में यह 6 फीट हो सकता है। मैनिनगिटिस, एनफलुएंज़ा, रूबेला आदि नमी कणों से होने वाले संक्रमण की उदाहरण हैं।
डॉक्टर ने कहा कि हवा में नमी कणों के ज़रिए फैलने वाले रोगों में टीबी, मीज़ल्स, चिकनपाॅक्स और सारस आदि शामिल होते हैं। इनके पीड़ितों को आईसोलेशन रूम में रखना चाहिए और जो लोग उनकी देखभाल कर रहे हों उन्हें एन95 माॅस्क पहनना चाहिए। डाॅ के के के अनुसार हाईजीन के साथ-साथ इन लोगों को सेहतमंद आहार लेना और सर्दी की सामान्य संक्रमणों से बचना चाहिए। विटामिन, ख़ास कर विटामिन डी की उचित मात्रा लेने से सांस प्रणाली के ऊपरी हिस्से के संक्रमण को आधा किया जा सकता है। खाने की चीज़ों से होने वाले संक्रमण उत्पादों पर चिपके हो सकते हैं, इसलिए पालक और पत्तागोभी आदि चीज़ों को पकाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धो और उबाल लें। खुष्क माहौल भी संास प्रणाली में बेचैनी पैदा कर सकता है इस लिए घर में नमी का स्तर 30 से 50 प्रतिशत तक बना कर रखें। अदरक, लहसुन और शहद का पूरा लाभ लें; इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करने के तत्व होते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
किसी बीमार व्यक्ति के या आप बीमार हों तो दूसरे के ज़्यादा करीब जाने से बचें।
बीमार होने पर घर रह कर आराम करें और दूसरों को संक्रमण से बचाएं।
अपना नाक और मुंह ढक कर रखें।
साबुन या एंटीबायटिक से अपने हाथ बार बार धोएं।
सर्वजनिक स्थानों पर स्तहों को छूने से परहेज़ करें।
अपने चेहरे को बार-बार हाथ ना लगाएं।