निशि भाट
भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु दसानी ने अपनी फिल्म मर्द को दर्द नहीं होता से बालीबुडे में एंट्री की है। अगर आपने इस फिल्म का ट्रेलर देखा होगा तो आप समझ गए होगें कि फिल्म में हीरो एक अजीब तरह की बीमारी का शिकार होता है, जिसमें उसे किसी भी तरह शारीरिक दर्द नहीं होता है, यहां तक कि हाथ कट जाने पर खून बहता है लेकिन दर्द का नामोनिशान नहीं होता। इससे पहले की फिल्म रिलीज हो, आपके मन में इस बीमारी के बारे में और अधिक जानने की जिज्ञासा जरूर होगी, जो आइए आपको इससे बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
मेडिकल जगत में दर्द महसूस न होने की स्थिति को सीआईपी या कंजेनाइटल एनाग्लेसिया के नाम से जाना जाता है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष और पदमश्री डॉ. केके अग्रवाल कहते हैं कि यह एक दुर्भल और गंभीर बीमारी है, अधिकांश मामलों में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की जन्म के बाद ही मृत्यु हो जाती है। दर्द महसूस न होने के साथ ही सीआईपी में बच्चों को मुंह संबंधी संक्रमण और हड्डियो में फै्रक्चर आदि होने की भी दिक्कत बनी रहती है। क्योंकि मरीज को दर्द का एहसास ही नहीं होता इसलिए अज्ञात संक्रमण और चोट आदि गंभीर रूप लेने पर ही पहचान आती हैं।
किस तरह की होती है असंवेदना
इसे मामलों में अकसर मरीज में दो तरह की असंवेदना देखी जाती है। नंबर वन- क्योंकि उसे दर्द ही नहीं होता इसलिए वह किसी भी तरह की तकलीफ की ग्रेविटी या गंभीरता तो बता नहीं पाता। दूसरे नंबर- क्योंकि दर्द का पता हमें नर्व द्वारा शरीर को भेजे गए संदेश के जरिए होता है, इसलिए ऐसे मामलों में मरीज को मस्तिष्क से ऐसे किसी भी तरह के संदेश नहीं मिल रहे होते, और दर्द को महसूस कर क्रिया प्रतिक्रिया करने में अक्षम होते हैं।
क्या है वजह
मस्तिष्क में अधिक मात्रा में एंड्र्रोफिन नामक हार्मोन के बनने को इसकी वजह बताया गया है। ऐसे केस में नैलाक्सजॉन दवा से इलाज किया जा सकता है। जन्म के समय शुक्राणु और अंडकोष के निषेचन के समय गड़बड़ी से भी यह बीमारी हो सकती है। वोल्टेज गेटेड सोडियम चैनल एससीएननाइनए डिस्आर्डर को भी इसकी एक वजह बताया गया है।
कितने मामले होते हैं बीमारी के
नार्दन स्वीडन कीरूना म्यूनिसिपॉलिटी के तहत आने वाले विटांगी गांव में ऐसे चालीस मामले देखे गए हैं।
कब होती है बीमारी गंभीर
कंजेनाइटिल इंसेंसिविटी टू पेन की पहचान अगर सीआईपीए यानि जन्मजात संवेदनहीना और ऑटोमेटिक न्यूरोपैथी टाइप पांच के रूप में होती है, तो मरीज वास्तव में गंभीर अवस्था में होता है, इसें नर्वस सिस्टम से संदेश न मिलने की अवस्था में मरीज को केवल दर्द ही नहीं ठंडे, गरम का भी एहसास नहीं होता। यहां तक कि उसे पेशाब करने जाना है इस बात का भी उसे पता नहीं चलता।
अब तक कितनी फिल्में बनी
भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु दसानी के अलावा हालीवुड में भी इस बीमारी पर फिल्म बन चुकी है। डॉक्यूमेंटेरियन मैलोडी गिलबर्ट इसमें उन्होंने बीमारी से तीन लड़कियों की नियमित दिनचर्या को दिखाया है।
गंभीर बीमारियों पर बनीं कुछ फिल्में
ब्लैक (2005) अल्जाइमर
तारें जमीं पर (2007) डिस्लेक्सिया
गजनी (2008) शार्ट टर्म मैमोरी लॉस या एंटेरोग्रेड एंम्निशया
पा (2009) प्रोजेरिया
माइ नेम इज खान (2010) एस्पिरगर सिंड्रोम
गुजारिश (2010) क्वाडिरिप्लीजिया
शुभ मंगल सावधान (2017) इरेक्टिायल डायफंक्शन
हिचकी (2018) टॉरेट सिंड्रोम
मर्द को दर्द नहीं होता (2019) कंजेनाइटिल इंसेंसिविटी