एंडीबॉडी मिलने के बाद भी जरूरी है कोरोना का वैक्सीन

नई दिल्ली,
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा कराए गए सीरो सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली की 56 प्रतिशत आबादी में एंडीबॉडी पाया गया है। यह सर्वेक्षण 11 से 22 जनवरी के बीच 280 जगहों के 28 हजार लोगों पर कराया गया। पहली बार सर्वेक्षण में कोरोना के ए-सिम्पमेटिक मरीजों को शामिल किया गया, जिसका आश्य यह है कि इन लोगों को पूर्व में कभी कोरोना हुआ था लेकिन लक्षण सामने नहीं आए या उन्हें पता नहीं चला। एंटी बॉडी मिलने के बाद कोरोना का वैक्सीन लेना जरूरी है।
इस बावत गुरुतेग बहादुर अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरूण शर्मा कहते हैं कि कोरोना की वैक्सीन लिए बिना भी यदि एंटीबॉडी पाई जाती है उस स्थिति में भी कोरोना का वैक्सीन लेना जरूरी है क्योंकि प्राकृतिक इम्यूनिटी कितने लंबे समय तक आपको संक्रमण से सुरक्षित रखेगी इसके अभी प्रमाण नहीं है। जबकि एंटीबॉडी मिलने के बाद भी कोरोना वैक्सीन लेने से संक्रमण के प्रति डबल सुरक्षा कवच तैयार किया जा सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि वैक्सीनेशन और एंडीबॉडी मिलने के अनुपातिक स्थिति में हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त की जा सकती है। डॉ. अरूण कहते हैं कि हर्ड इम्यूनिटी के लिए 60-70 प्रतिशत लोगों में बीमारी के विरुद्ध इम्यूनिटी होनी चाहिए। वैक्सीन हममे यह इम्यूनिटी विकसित करती है। कोरोना वायरस से हुई बीमारी भी मरीज के शरीर में प्रतिरक्षात्मक गुण यानि इम्यूनिटी विकसित करती है। इसलिए जब हमारी 60-70 प्रतिशत जनसंख्या में कोरोना वायरस के प्रति इम्यूनिटी होगी तब हम हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त करेगें। वैक्सीन हमें जल्द से जल्द हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने में सहायक है। जनसंख्या के एक बड़े हिस्से में एंडीबॉडी पाया जाना हमें इस बात के लिए आश्वस्त नहीं कर सकता कि हम बिना वैक्सीन लगाए भी संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं क्योंकि प्राकृतिक इम्यूनिटी लंबे समय तक हो यह जरूरी नहीं। वैक्सीनेशन ही इसका समाधान है जिससे संक्रमण के साथ ही मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है।

हर्ड इम्यूनिटी से जुड़े कुछ तथ्य
– अगर कोई बीमारी किसी जनसंख्या के एक बड़े हिस्से में फैल जाती है और लोग उससे ठीक भी हो जाते हैं, तो उनके शरीर में उस बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षात्मक गुण विकसित हो जाते हैं। इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। इसी को हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं।

– आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि हर्ड इम्यूनिटी के स्तर तक पहुंचने के लिए 70 से 90 फीसदी आबादी का इम्यून होना जरूरी होता है, यानी उनमें बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षात्मक गुण होने चाहिए। वहीं, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, हर्ड इम्यूनिटी के स्तर तक पहुंचने के लिए किसी आबादी के करीब 80 फीसदी लोगों के इम्यून होने की जरूरत होती है।

– टीकाकरण के माध्यम से भी हर्ड इम्यूनिटी हासिल की जा सकती है, जिसकी कोशिश हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अब तक 25 लाख से भी अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है। जुलाई तक करीब 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की सरकार की योजना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *