नई दिल्ली,
विनय जानी की उम्र मात्र 21 साल की थी जबकि उन्हें 2005 में यह पता चला कि वह एपिलेप्सी (Epilepsy ) या मिर्गी के मरीज हैं, बावजूद इसके उन्होंने हौंसला नहीं छोड़ा और अपने अंदर के डर को खत्म कर एक साइकिलिंस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई। विनय जानी दस दिसंबर से गुरूग्राम से अपनी बाघा बार्डर तक की 1000 किमी की साइकिल यात्रा शुरू करेगें। अब तक वह 200 किलोमीटर, 300 और 600 किलोमीटर तक साइकिल यात्रा कर चुके हैं। बीमारी में उनका हौसला बनी एकत्वम (EKATWAM) की टीम जो ऐसे मरीजों के लिए दवा सहित कई तरह की इलाज संबंधी सहायता प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। एपिलेप्सी या मिर्गी दिवस के अवसर विजय जानी ने अपनी बीमारी और इलाज के बारे में विस्तृत बात की। इस अवसर पर एम्स की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मंजरी त्रिपाठी, एम्स के न्यूरोसर्जन डॉ. पी शरत चंद्रा, एकत्वम की वाइस प्रेसिडेंट शिवानी वजीर सहित कई लोग उपस्थित थे।
विनय जानी ने बतााया कि बीमारी के शिकार लोग भी आत्मविश्वास के साथ जी सकते है, जबकि उन्हें अपनी बीमारी एपिलेप्सी के बारे में पता चला तो वह काफी हताश हो गए थे, लेकिन चिकित्सकों की टीम और अपने मनोबल के साथ उन्होंने अपने साइकिल चलाने के जुनून को फिर से जिंदा किया। विनय जानी साइकिलिंग में कई पड़ाव हासिल कर चुके हैं। दस दिसंबर से जानी अपनी अगली यात्रा गुड़गांव से बाघा बार्डर (1000 km) के लिए शुरू करेगें जिसे 75 घंटे में पूरा करने का लक्ष्य रखा है, विनय जानी को फोकल एपिलेप्सी (Focal Epilepsy ) है, विनय जानी ने कहा कि मिर्गी के मरीजों को अपनी चिकित्सक की सलाह पर शारीरिक गतिविधि में शामिल होना चाहिए। एम्स की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि भारत में एपिलेप्सीेके 12 मिलियन से भी अधिक मरीज हैं बीमारी के संदर्भ में सामाजिक भेदभाव काफी है, जिन लड़कियों को एपिलेप्सी की बीमारी होती है उनके माता पिता शादी और आगे के वैवाहिक जीवन के बारे में चिंता करते हैं, कई बार हमने ऐसे मरीजों को ठीक किया है जिनका चुपके से बीमारी का इलाज किया गया बाद में विवाह किया गया। जबकि एपिलेप्सी के मरीज भी सामान्य जीवन जी सकते हैं उन्हें केवल चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवाओं का सेवन करना होता है। डॉ. मंजरी ने बताया कि एकत्वम के जरिए हम ऐसे मरीजों की सहायता करते हैं जो बीमारी का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं, उन्हें एपिलेप्सी की दवाएं और इलाज मुफ्त दिया जाता है। न्यूरोसर्जन डॉ. पी शरत चंद्रा ने बताया कि एम्स में एपिलेप्सी के इलाज का खर्च 25 से तीस हजार रुपए तक आता है जबकि निजी अस्पताल में पांच से छह लाख रुपए लग सकता है। मिर्गी के मरीजों को सही सलाह और दवाओं की जरूरत होती है वह भी डायबिटिज या फिर अन्य किसी भी बीमारी के मरीज की तरह सामान्य जीवन बिता सकते हैं। डॉ. शरत ने कहा कि एपिलेप्सी समाज में हिडन या छिपी हुई महामारी है इन मरीजों के साथ बहुत भेदभाव किया जाता है जो नहीं होना चाहिए। ऐसी मरीजों की सहायता के लिए वर्ष 2013 में एकत्वम संगठन की शुरूआत की गई, जो एपिलेप्सी के इलाज से जुड़े लोगों को सहायता पहुंचाता है। बीते पांच साल में संगठन के माध्यम से कई तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, अब तक 17 लोगों की निशुल्क सर्जरी की जा चुकी है, जबकि 158 मरीजों को एम्स से सम्बद्ध नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (National Brain Research Center) मानेसर तक पहुंचाया गया है, 200 मरीजों को निशुल्क दवाएं दी गई हैं। एकत्वम संगठन ने जाने माने कमेडियन कपिल शर्मा के शो के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिसमें एक एपिलेप्सी से पीड़ित एक मरीज पर कमेडी की गई।
क्या है एपिलेप्सी
मस्तिष्क की विभिन्न बीमारियों के शिकार 200 में एक मरीज को एपिलेप्सी या मिर्गी होती है। जन्म के समय दिमाग के न्यूरोन्स में गड़बड़ी, दिमाग के किसी हिस्से में सिस्ट या फिर हेड इंजरी भी मिर्गी का कारण हो सकती है। बीमारी में दिमाग के इलेक्ट्रिक सेल्स या न्यूरोट्रांसमिटर्स के अनियंत्रित होने पर शरीर में करंट जैसे झटके लगते हैं। अब तक एंटी एप्लिेप्टिक दवाओं और गामा नाइफ किरणों से मरीज का इलाज जाता है।