थॉयरायड की सर्जरी कराने के बाद मरीजों को अब कम क्षमता की आयोडीन युक्त दवाएं लेनी होगी। इस बावत अमेरिकन थॉयरायड एसोसिएसन द्वारा जारी गाइडलाइन को भारतीय डॉक्टरों ने भी सहमति दी है। गाइडलाइन के बाद रेडियोधर्मी दवाओं का असर सामान्य सेल्स पर कम पड़ेगा और मरीजों को दोबारा कैंसर होने के खतरे से बचाया जा सकेगा।
क्या हुआ बदलाव
एम्स के न्यूक्लियर मेडिसन विभाग के प्रमुख डॉ. सीएस बाल ने बताया कि थॉयरायड कैंसर की सर्जरी के बाद अब तक मरीजों को अधिक मात्रा युक्त रेडियोधर्मी दवाएं दी जाती थी, जिसकी वजह से सामान्य सेल्स भी कमजोर हो जाती थी। थॉयरायड क्योंकि शरीर में थॉयरायड हार्मोन का स्त्राव करती हैं इसलिए सर्जरी के बाद ऐसी दवाएं दी जाती है जो आयोडीन की कमी को पूरा कर सकें। कैंसर युक्त थॉयरायड की सर्जरी के बाद आयोडीन के साथ ही मरीज को ऐसा इलाज दिया जाता है जिससे कैंसर दोबारा न पनप सकें, इसके लिए अधिक मात्रा की रेडियोधर्मी आयोडीन की खुराक लंबे समय तक दी जाती है।
नई गाइडलाइन जारी
हाल ही में अमेरिकन थॉयरायड एसोएिसशन ने इलाज के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जिसमें मरीजों को दी जाने वाली 100-150 मिलीग्राम दवा की खुराक कम करके 30 मिलीग्राम तक कर दी गई है। गाइडलाइन के तहत यह भी कहा गया है कि मरीज का रेडियाधर्मी आयोडीन इलाज करने से पहले अल्ट्रसाउड और फाइन नीडल एस्परेशन (एफएनएसी) जांच भी जरूरी की जानी चाहिए। मालूम हो कि दवा की खुराक का सीधा फायदा मरीजों को होगा, कम खुराक की वजह से सामान्य सेल्स पर रेडियोधर्मी दवाओं का असर नहीं पड़ेगा। इंडियन थॉयरायड सोसाइटी के अनुसार देश में इस समय 4.2 करोड़ लोग थॉयरायड विकार से पीड़ित हैं, जिसमें थॉयरायड के तीन प्रतिशत मामले थॉयरायड कैंसर के होते है। सालाना थायरॉयड कैंसर के दस हजार नये मरीज सामने आते हैं।