दुनिया की मधुमेह राजधानी ने अपनी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ ली है। देल्ही डायबिटीज रिसर्च सेंटर (डीडीआरसी) ने आज 8 घंटे में काफी संख्या में मधुमेह रोगियों की जांच कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके तहत आंख के लिए ‘‘फंडस’’ परीक्षण, किडनी के लिए एसीआर और पैर की जांच के लिए बायोथेसियोमेट्री जैसे विषेश स्क्रीनिंग टेस्ट किये गये। नयी दिल्ली के ईस्ट पंजाबी बाग स्थित अग्रवाल भवन में डीडीआरसी के द्वारा आयोजित एक विषेश षिविर में 340 मधुमेह रोगियों ने खुद की जांच करायी।
इस अवसर पर उपस्थित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधि श्री स्वप्निल इस कार्यक्रम के गवाह रहे। उन्होंने इस उपलब्धि को ‘‘8 घंटे में रेटिनोपैथी, न्यूरोपैथी और नेफ्रोपैथी के लिए सबसे अधिक संख्या में मधुमेह रोगियों की जांच’’ के रूप में आधिकारिक तौर पर घोषणा की है। इससे पहले, आठ घंटे के भीतर ये तीनों जांच कराने वाले मधुमेह रोगियों की सबसे अधिक संख्या 250 थी।
देल्ही डायबिटीज रिसर्च सेंटर, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. ए. के. झिंगन ने कहा, ‘‘भारत में 2025 तक 7 करोड़ लोगों को मधुमेह से पीड़ित होने का अनुमान है। जीवनशैली में परिवर्तन ने मधुमेह और इससे संबंधित न्यूरोपैथी, वैस्कुलर बीमारियां (कार्डियेक, सेरेब्रल और पेरिफेरल) और रेटिनोपैथी जैसी बीमारियांे के मामलों में वृद्धि करने में मुख्य भूमिका निभायी है। मधुमेह रोगियों के लिए न सिर्फ अपने रक्त में शर्करा के स्तर पर निगरानी रखना बल्कि मधुमेह के कारण होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर भी नजर रखना जरूरी है।’’
वर्तमान वर्ष के लिए विश्व मधुमेह दिवस के विषय को आंखों की देखभाल पर केंद्रित किया गया है। मधुमेह से पीड़ित रोगियों में दृष्टि के गंभीर रूप से नुकसान होने और अंधापन होने की संभावना होती है। उनमें डायबेटिक रेटिनोपैथी, डायबेटिक मैकुलर एडेमा (डीएमई), मोतियाबिंद, ग्लूकोमा विकसित होने का खतरा होता है। डायबेटिक रेटिनोपैथी मधुमेह की सबसे प्रमुख जटिलता और अंधापन का प्रमुख कारण है। इसके कारण रेटिना की रक्त वाहिकाओं में परिवर्तन हो सकता है जिसके कारण रक्तस्राव हो सकता है या तरल पदार्थ लीक कर सकता है, दृष्टि खराब हो सकती है। डॉ. ए. के. झिंगन बताते हैं, ‘‘चूंकि दृश्टि कम होने से पहले किसी का भी ध्यान डायबेटिक रेटिनोपैथी की ओर नहीं जाता है, इसलिए मधुमेह रोगियों को साल में कम से कम एक बार व्यापक डायलेटेड नेत्र परीक्षण अवष्य कराना चाहिए।’’ बीमारी का जल्द पता लगाकर, समय पर उपचार कराकर, और डायबेटिक नेत्र रोग की निरंतर उचित देखभाल कर दृष्टि के नुकसान से बचा जा सकता है।