New Delhi,
केरल में निपाह वायरस से 12 वर्षीय बच्चे की मौत के बाद विशेषज्ञ वायरस के प्रति सचेत हो गए है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नेतृत्व में एनसीडीसी की एक टीम को केरल भेजा गया है। बच्चे के संपर्क में आने वाले एक 140 लोगों को आइसोलेट कर दिया गया है। इसके साथ ही संक्रमण के संभावित क्षेत्रों पर टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही है।
कैसे फैलता है निपाह संक्रमण
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना और निपाह, दोनों वायरल इंफेक्शन है। लेकिन, निपाह संक्रमण कोरोना की तरह नहीं फैलता है। निपाह, वायरस हवा में एक से दूसरे में नहीं जाता है। यह संक्रमित मरीज के स्लैबा, यूरिन, स्टूल, ब्लड, थूक के संपर्क में आने से ही संक्रमित हो सकता है। चिंता की बात यह है कि जहां कोरोना में डेथ रेट 2 पर्सेंट से भी कम है, वहीं निपाह में मौत का औसत 75 पर्सेंट से भी ज्यादा है। केरल के बाद यह वायरस तमिलनाडु में भी पहुंचने की बात की जा रही है। वहां पर भी संदिग्ध मरीज की पहचान हुई है और जांच जारी है। संक्रमण विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष सिंह ने बताया कि निपाह कोरोना की तरह हवा में नहीं फैलता है।
संपर्क में आए लोगों को किया गया क्वारंटीन
एनसीडीसी की टीम ने केरल में 140 लोगों को क्वारंटीन किया है, इन सभी में वायरस के होने का संदेह है। लेकिन यही अगर कोरोना होता तो 1000 को क्वरंटीन कर जांच करनी होती। केरल में इससे पहले भी वर्ष 2018 में निपाह वायरस दस्तक दे चुका है, उस समय इसे नियंत्रित कर लिया गया था। इस बार भी पूरी उम्मीद है कि इस वायरस को फैलने से रोकने में सफलता मिलेगी।
क्या हैं संक्रमण के लक्षण
निपाह एक वायरल इंफेक्शन है। इसमें भी संक्रमित मरीज को बुखार आता है। निपाह भी फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन ज्यादातर मामले में यह ब्रेन को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों ने कहा कि फीवर के साथ उल्टी, चक्कर आना, सिर में दर्द हो सकता है। वायरस का असर ज्यादा होने पर लक्षण और बढ़ सकते हैं।
क्या है वायरस का इतिहास
यह वायरस देश में पहली बार साल 2001 में आया था, जनवरी-फरवरी में सिलीगुड़ी में इसका संक्रमण देखा गया था। इसके बाद 2007 में पश्चिम बंगाल के नादिया में यह संक्रमण पाया गया था। जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी में आए कुल 66 मरीज में से 45 की मौत हो गई थी, जबकि नादिया में केवल 5 मरीज में इस वायरस की पुष्टि हुई थी, लेकिन पांचों की मौत हो गई थी।
चमगादड़ से फैलता है निपाह का संक्रमण
जानवरों से इंसान में फैलने वाला यह एक नया वायरस है। यह दोनों यानी जानवर और इंसानों को संक्रमित कर सकता है और उसे बीमार बना सकता है। यह एक खास तरह का चमगादड़ जिसे फ्रूट बैट कहते हैं, उसके जरिए यह संक्रमण फैलता है। जब संक्रमित चमगादड़ किसी फल पर बैठता है तो उसका स्लैबा उसमें रह जाता है। केरल में चमगादड़ खजूर आदि के पेड़ों पर बैठते हंै और उसे संक्रमित कर देते हैं। जब इंसान वह संक्रमित खजूर या पेड़ से निकाले गए जूस का सेवन करता है तो वायरस इंसाल के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
संक्रमित मरीज से दूरी ही बचाव
डॉक्टर ने कहा कि निपाह संक्रमित मरीज से दूरी बनाए रखने पर बचाव संभव है। लेकिन, यह कोरोना की तरह नहीं है। यह हवा या सांस के जरिए नहीं फैलता है। यह संक्रमित इंसान के स्लैबा या मुंह की लार, थूक, खून, यूरिन, स्टूल के संपर्क में आने से संक्रमित हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रहें और सफाई का खास ख्याल रखें। खासकर हाथ, नाक मुंह के पास लेने जाने से पहले हाथ अच्छे से साफ करें।
यह वायरस ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है
कोरोना का संक्रमण श्वसन तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, उससे उलट निपाह सबसे ज्याद मस्तिष्क को संक्रमित करता है। यह दिमाग में सूजन कर इनसेफलाइटिस कर देता है। फीवर, सिरदर्द, उल्टी, सूचन, विचलित होना। संक्रमण का अब तक न इलाज है न दवा है और न ही वैक्सीन है। इससे संक्रमित मरीज 48 घंटे के अंदर कोमा में जा सकता है। निपाह में डेथ रेट 75 प्रतिशत तक है।
बीमारी से बचने के लिए जरूरी सुझाव
– अपने हाथों को अच्छी तरह बार बार साफ करें
-चमगादड़ या उनके मल से दूषित होने वाला खाने पीने का सामान का सेवन न करें
– चमगादड़ या किसी भी पक्षी या जानवर के कुतरे फलों को नहीं खाएं
– खजूर और ताड़ के पेड़ से निकाले गए जूस को न पीएं
– संक्रमित मरीज के बहुत समीप न जाएं, उसका झूठा खाना और यूरिन आदे से दूरी बनाकर रहें