बारहवीं मंजिल से छत से गिरे युवक को दिया नया जीवन

ग्रेटर फरीदाबाद में निर्माणाधीन साइट पर करते हुए 23 वर्षीय युवक का संतुलन बिगड़ गया और वह 12वी मंजिल की इमारत से नीचे गिर गया. साथ में काम करने वाले लोगो ने युवक को नज़दीक के क्यूआरजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां चिकित्स्कों की टीम ने ऑपरेशन कर मरीज की जान बचाई, चिकित्सक इसे चमत्कार मान रहे है है, जिस समय युवक को अस्पताल लाया गया उसका काफी खून बह चुका था, अब तक ऐसे मामलो में किसी भी व्यक्ति का इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद जीवित रहना ही मुश्किल देखा गया.
क्यू आरजी अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ डॉ. पंकज जुत्शी ने बताया कि पांच जून 2017 को सुधीर को बेहद गंभीर अवस्था में अस्पताल लाया गया, प्राथमिक जाँच में पता चला की उसकी नब्ज नहीं चल रही थीं, खून की नलिकाओं में किसी तरह का दवाब नहीं था, और उसकी आँखों की पुतली खुली हुई थीं, ऐसा उस अवस्था में होता है. जबकि मरीज को अंदरूनी गहरी चोट लगी हो और काफी खून बह चूका हो. डॉ. पंकज ने बताया कि बिना कोई पल गवाए हमने मरीज को साँस लेने के लिए आईसीयू में शिफ्ट कर दिया, इसके साथ ही नसों में संवेदना लाना भी जरूरी था, जिससे मर्ज की धड़कन चल सके. इसके लिए मरीज को तुरंत सीपीआर दिया गया.
हालांकि सुधीर जीवित था लेकिन हड्डियों सहित शरीर के कई अंदरूनी हिस्से में चोट लगने के कारण वेंटीलेटर पर रखने के बावजूद उसकी सेहत में सुधार नहीं हो पा रहा था, मरीज की हालत बिगड़ती देख इलाज करने वाले चिकित्स्कों की टीम और परिजनों की सहमति के बाद सुधीर के ऑप्रेशन का फैसला लिया गया,
क्यूआरजी सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के इंटेन्वेंशनिस्ट डॉ प्रशांत भाटिया ने बताया कि यह बेहद चुनौतीपूर्ण सर्जरी थीं, 120 फीट ऊँचाई से गिरने के केवल हड्डियों में फ्रैक्चर ही नहीं होता बल्कि फेफड़े और लिवर पर भी असर होता है. ओटी में देखा गया कि मरीज के शरीर के अंदरूनी हिस्से में काफी रक्त स्त्राव हुआ है सर्जरी के दौरान पेट की कैवेटी से चार लीटर हेयोपेरिटूनियम (गन्दा खून ) निकला गया, अंदरूनी रक्त स्त्राव इतना अधिक था कि मरीज के पेशाब और लिवर से भी खून बह रहा था, इस दौरान बहते खून को भी नियंत्रित किया गया, डॉ. प्रशांत ने बताया कि शरीर के अंदर बहते खून को यदि सही समय पर नहीं निकला जाता तो उससे संक्रमण भी हो सकता था, सुधीर को 15 दिन तक अस्पताल में रखा गया और इस दौरान उससे 63 यूनिट खून और खून के अन्य उत्पाद को चढ़ाया गया.
ऑप्रेशन के बाद सुधीर ने बताया के गिरते समय इस बात का एहसास हो गया था कि बच पाना मुश्किल है, लेकिन जब होश आया थो खुद को आईसीयू में पाया. सुधीर ने क्यूआरजी अस्पताल के चिकित्स्कों का धन्यवाद दिया, डॉ. जुत्शी ने बताया कि मरीज बेहद भाग्यशाली है, इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद यदि मरीज बच भी जाते है तोह उन्हें रीढ़ की हड्डी की समस्या होती है, कई बार ऐसे मामले में स्पाइनल कॉर्ड में गड़बड़ी होने से मरीज के याद्दाश भी जा सकती है, लेकिन सुधीर के मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ और सर्जरी के बाद वह बिलकुल स्वस्थ्य है

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