राजस्थान के कोठपुतली निवासी रेश्म बीते 18 साल से पसली में पांच किलोग्राम का ट्यूमर लेकर जी रही थी। पसली के बीचों बीच स्थित ट्यूमर की वजह से रेश्म की सामान्य दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो रही थी। राममनोहर लोहिया अस्पताल के प्लास्टिक और सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने रेश्म की सर्जरी ट्यूमर को बाहर निकाला।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 38 वर्षीय रेश्म को पांच साल पहले पसली के बीच में दर्द और खिंचाव का अनुभव हुआ, जिसे उसने नजरअंदाज कर दिया, कुछ समय बाद खिंचाव उभार के रूप में दिखाई देने लगा। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने पर ट्यूमर का आकार 5.5 किलोग्राम तक पहुंच चुका, खाने और सांस लेने में दिक्क्त के साथ ही ट्यूमर की वजह से दिल की सामान्य प्रक्रिया भी बाधित हो रही थी। सर्जरी करने वाले अस्पताल के प्लास्टिक रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अरूण कपूर ने बताया कि सीटी स्कैन और एमआरआई जांच से पता चला कि महिला ऑस्टियोकांड्रोमा की शिकार है। जिसमें पसली के अंदर की तरफ बढ़ने के साथ ही ट्यूमर बाहर की तरफ भी बढ़ रहा था। जांच के दौरान मरीज की थ्री डायमेंशनल इमेल ली गई, जिससे सही दिशा में ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जा सके। महिला की सर्जरी के लिए अस्पताल के ब्लड बैंक से बिना खून दान किए 35 बोतल खून दिया गया। नौ घंटे तक चली सर्जरी के बाद महिला स्वस्थ है।
क्या है ऑस्टियोकांड्रोमा ट्यूमर
हड्डियों का यह ट्यूमर शरीर की ऐसी किसी भी लंबी हड्डी पर होता है जहां कार्टिलेज बनता है। हालांकि सालों तक आस्टियोकांड्रोमा मरीज को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बिना शरीर में पनपता रहता है, लेकिन पसली और घुटनों के जोड़ पर पनपने की वजह से इससे सामान्य दिनचर्या और अन्य जीवनरक्षक अंगों पर असर पड़ता है। तीन प्रतिशत मामलों में हड्डियों का यह ट्यूमर 10 से 30 साल की उम्र में होता है, जबकि हड्डियां विकसित होती हैं। यह ट्यूमर कैंसर- रहित होता है।