वजन घटाने के तमाम उपाय अगर नाकाम साबित हो रहे हैं तो बेवजह शरीर को कष्ट न पहुंचाये। अधिक वर्कआउट और डायटिंग की जगह एक समय बाद बैरिएट्रिक सर्जरी का विकल्प अपनाया जा सकता है। जो न सिर्फ कम समय में वजन कम कर सकती है, बल्कि इससे पांच अन्य बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। डॉक्टरों की मानें तो मोटापे की सही समय पर की गई सर्जरी उम्र के दस से पन्द्रह साल बढ़ा सकती है।
ओबेसिटी एंड मेटाबॉलिक सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया और मैक्स अस्पताल के बैरिएट्रिक विभाग के प्रमुख सर्जन डॉ. प्रदीप चौबे ने बताया कि बैरिएट्रिक सर्जरी के 90 प्रतिशत लोग डायबिटिज के साथ मोटापे के शिकार होते हैं। वर्ष 2002 में की गई पहली सर्जरी के बाद अब हर साल 100 से 150 सर्जरी की जा रही हैं। बीते दस साल में किए गए ऑपरेशन के अब तक परिणाम भी बेहतर देखे गए हैं। सर्जरी के बाद मोटापे के साथ ही डायबिटिज, दिल की बीमारी, जोड़ों के दर्द और ब्लडप्रेशर की समस्या का समाधान हो जाता है। जिससे सेहत पर पड़ने वाले अन्य प्रभाव को कम किया जा सकता है।
कब कराएं सर्जरी
-डायबिटिज के साथ बीएमआई यदि 27.5 हो
-बिना डायबिटिज के बीएमआई यदि 32.5 हो
-18 से 50 साल की उम्र में सर्जरी अधिक बेहतर विकल्प
कैसे हो सकता है फायदा
डायबिटिज- मोटापे की वजह से पैक्रियाज के इंसुलिन का अधिक मात्रा में स्त्राव होता है। मोटापे के 80 फीसदी मरीज डायबिटिज नियंत्रित करने के लिए सर्जरी कराते हैं।
हृदयघात- अधिक मोटापे के कारण दिल को दस गुना अधिक तेजी से पंपिंग करनी पड़ती है। यदि कारण है कि मोटे लोगों में हृदयघात या फिर वाल्व खराब होने की शिकायत अधिक होती है। वजन कम होने के बाद दिल के पंपिंग का काम कम हो जाता है।
जोड़ों में दर्द- मोटापे का सबसे अधिक असर पैर के जोड़ों पर पड़ता है। महिलाओं में इसी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस और आर्थराइटिस की शिकायत होती है। वजन कम होने से यह समस्या अपने आप कम हो जाती है।
स्लीप एपीनिया- नींद में खर्राटे लेने की आदत दिल के लिए सही नहीं। 99 प्रतिशत मोटे लोग स्लीप एपीनिया के शिकार होते हैं। वजन कम होने के साथ ही इसे नियंत्रित करना आसान हो जाता है।
ब्लडप्रेशर- दिल के पंपिंग करने का काम कम होने के साथ ही ब्लडप्रेशर अपने आप नियंत्रित हो जाता है। और इससे होने वाली दिल की बीमारियों को रोका जा सकता है।
कैसे होता है मोटापा कम
गैस्ट्रिक बैंडिंग- इसमें भूख को नियंत्रित कर मोटापे को कम करने का लक्ष्य रखा जाता है। अमाशय के एक हिस्से को मुख्य भाग से अलग कर बांध देते हैं। इसके लिए अमाशय की पैंचिंग की जाती है। इससे पेट में पहुंचने वाली खाने की मात्रा अपने आप कम हो जाती है।
स्लीव गैस्टैक्टमी-इस प्रक्रिया में सर्जरी कर अमाशय के हिस्से को शरीर से ही निकाल देते हैं। अमाश्य का आकार कम होने के कारण खाना खाने की क्षमता ही कम हो जाती है। इस प्रक्रिया में चार से पांच घंटे का समय लगता है।
बायपास सर्जरी- इस सर्जरी में अमाशय की कई जगह से पैचिंग की जाती है। इसके लिए एक बैंड का इस्तेमाल किया जाता है, जो अमाशय एक बड़े हिस्से को जाकर बंद कर देता है। बैंडिंग के जरिए पेट में पहुंचने वाली 50 प्रतिशत कैलोरी को रोका जा सकता है।
स्पाइडर सर्जरी- इसमें एक छेद के जरिए मोटापे को कम किया जा सकता है। नाभि के जरिए तीन छेद कर अमाश्य की पैचिंग की जाती है। इसमें सर्जरी के निशान नहीं रहते।