मोबाइल ऐप मानसिक रोगी को नींद से जगाएगा

Touchscreen smartphone with cloud of colorful application icons isolated on white background

नई दिल्ली: भले ही मरीज मानसिक रूप से सौ फीसदी ठीक नहीं हो, लेकिन 88 पर्सेंट मरीज मोबाइल ऐप यूज करते हैं, इसलिए एम्स ने अब इन मरीजों के इलाज में मदद के लिए एक ऐसा ऐप बना रहा है जो मानसिक रोगी को न केवल इलाज में अपडेट करेगा बल्कि उन्हें रोज नींद से जगाएगा भी। ऐप मरीज के मनपसंद गीत या गाने के जरिए उन्हें नींद से उठाएगा। अच्छी बात यह है कि मरीज खुद भी इस ऐप का यूज करेंगे। ऐप की खास बात यह होगी कि इससे मरीज के परिवार वाले और उनके केयर टेकर को भी सभी जानकारियां मिलती रहेंगी।

एम्स के सायकायट्रिस्ट डॉक्टर ममता सूद ने कहा कि ऐप बनाने में सबसे बड़ा सवाल था कि मानसिक रोगी मोबाइल ऐप यूज करते हैं या नहीं। लेकिन जब हमने ओपीडी में आने वाले मरीजों पर स्टडी की तो पता चला कि 88 पर्सेंट मरीज मोबाइल ऐप यूज करते हैं। तब हमने इस ऐप को बनाने का फैसला किया। डॉक्टर ममता ने कहा, जानना जरूरी था कि मरीजों को क्या दिक्कतें होती हैं, परिवार वाले किस तरह की परेशानी झेलते हैं, केयरटेकर इसमें क्या-क्या चाहते हैं। लिहाजा हमने इन सभी के साथ बातचीत की और हम उसके आधार पर ऐप बनाने पर काम कर रहे हैं।

डॉक्टर ने कहा कि मरीज के परिवार वालों का कहना था कि उन्हें इलाज के बारे में इनफॉर्मेशन कैसे मिलेगी, इलाज कैसे होगा, दवा का साइड इफेक्ट क्या होगा, इमरजेंसी है तो क्या करें। हम ऐप को इस तरह से बना रहे हैं कि अगर मरीज दवा नहीं खाएगा तो उसका रिमाइंडर जाएगा, मरीज रिमांइडर को फॉलो नहीं करता है तो इसकी सूचना परिवार वालों और केयरटेकर तक जाएगी। यहां तक कि सुबह मरीज को उठाने में भी यह ऐप मददगार होगा। जब तक मरीज बेड से उठकर दो-चार कदम चल नहीं लेगा है तब तक रिमाइंडर आता रहेगा।

डॉक्टर ने कहा कि सुबह पहले रिदम आएगा, फिर फोन। इसके बाद मरीज का पसंदीदा गाना आएगा, इसके बाद भी नहीं उठेंगे तो इसकी सूचना केयर टेकर के पास जाएगी। इसमें डेटा कलेक्शन की भी सुविधा होगी। डॉक्टर प्रताप शरण ने कहा कि अभी ऐप का पहला स्टेप ही पूरा हुआ है। ऐप अभी डिवेलपमेंटल फेज में है, इसके प्रॉब्लम्स दूर किए जा रहे हैं। अगर यह ऐप सफल रहा तो इसे नैशनल लेवल पर भी बनाया जा सकता है।

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