नई दिल्ली
जन्म के 19 दिन बाद ही मुंबई में नवजात को एक और जटिज सर्जरी से गुजरना पड़ा। यह सर्जरी किसी बीमारी के लिए नहीं की गई बल्कि लोकल नर्सिंग होम की लापरवाही के कारण नवजात की सर्जरी हुई। दरअसल जन्म के बाद लगने वाले जरूरी टीकाकरण के माता पिता उसे नजदीक के नर्सिंग होम में लेकर गया। वैक्सीन लगवाने के बाद से ही बच्चे को बुखार और दाहिनी जांघ में सूजन हो गई। सभी तरह के इलाज के बाद भी जब बच्चे को आराम नहीं हुआ तो उसे बाई जरबाई वाधवा अस्पताल में भर्ती किया गया। अल्ट्रासाउंड, एक्सरे और सीटी स्कैन जांच में पता चला कि दाहिने कूल्हे के नीचे और जांघ के कटोरी के नीचे कुछ चीज है। बाद में सर्जरी कर बच्चे की जांच से दो सेमी की सूई निकाली गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चेंबूर आस्था सुधाकर ने एक महीने पहले एक लड़के को जन्म दिया था। लोकल नर्सिंग होम में नवजात को टीकाकरण के लिए ले जाया गया। जिसके बाद से उसकी तबियत खराब हो गई। वाधवा नर्सिंग होम की पीडियाट्रिसियन सर्जन डॉ. प्रर्दन्य बेंद्रे ने बताया कि हमने सर्जरी कर बच्चे की हड्डी के आस्टियोमेलाइटिस या हड्डी के संक्रमण का इलाज किया। लेकिन इसके बाद भी बच्चे की सेहत में सुधान हीं हुआ तो सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें यह पता लगा कि दाहिने पैर की जांघ के नीचे कूल्हे के पास सूई जैसी कोई चीज है। परिजन से बात करने पर नर्सिंग होम में टीकाकरण की बात सामने आई। बताया गया कि जन्म के तीन दिन बाद ही नवजात को इंट्रा मॉस्कुलर इंजेक्शन दिया गया था। डॉ. बेंद्रे ने बताया कि दो सेमी की सूई को निकालने में दो घंटे का समय लगा, जिसमें सी आर्म गाइडेड रोबोट की मदद ली गई। वाधवा अस्पताल की सीईओ मिनी बोधनवाला ने बताया कि टीकारण के लिए हेल्थ केयर वर्कर और पैरामेडिकल स्टॉफ को पूरी जानकारी दे जानी चाहिए। नवजात के पिता ने कहा कि अस्पताल की मदद से बच्चे को नया जीवन मिला है।