नई दिल्ली,
कोरोना के लक्षणों को लेकर विशेषज्ञ लंबे समय तक एक मत नहीं हो पाए थे, शुरूआत में साधारण फ्लू के लक्षण को ही कोरोना के लक्षण माना जाने लगा, बाद में बुखार गले में खरास और बदन टूटना भी कोरोना के लक्षणों में शामिल हो गया। इसी बीच सुंघने और स्वाद का पता लगाने की क्षमता खत्म होने को भी कोरोना के लक्षण बताया गया। अब जबकि कोरोना के इलाज और जांच पर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं, यूके के वैज्ञानिक शोध के बाद इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि सुंघने की क्षमता खत्म होना कोरोना का अब तक का सबसे प्रमाणित लक्षण है। जिसे लोगों को गंभीरता से लेना चाहिए।
यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार एसएआरएस सीओवी टू के लक्षणों में सुंघने की क्षमता खत्म होने को तीन गुना अधिक सटीक पाया गया है, किसी भी तरह की खुशबू या बदबू न महसूस होने पर व्यक्ति को खुद को आईसोलेट कर लेना चाहिए, इसके साथ ही कांटेक्ट ट्रैकिंग और जांच भी करानी चाहिए। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि पार्किंसन, साइनस इंफेक्शन, अल्जाइमर और साधारण जुकाम में भी सुंघने की क्षमता प्रभावित होती है। अगर मरीज को उपरोक्त किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है फिर भी वह सुंघ में अक्षम है तो उसे तुरंत जांच करानी चाहिए।
क्या है प्रमुख वजह
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन और माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. नरेन्द्र सैनी ने बताया कि शुरूआत में कोरोना वायरस जिसे चिकित्सीय भाषा में एसएआरएस सीओवीटू भी कहा जाता है, एसएआरएस सीओवी के नाम से भी जाना जाता था। वायरस एंजियोटेंसिन कंर्वटिंग एंजाइम्स टू (एसीईटू) रिसेप्टर पाया जाता है, रिसेप्टर के प्रोटीन मानव शरीर के सेल्स के ओएसई (ऑफैक्ट्री सेंसरी एपिथीलियम) को निष्क्रिय कर देते हैं। इसलिए वायरस के संपर्क में आने से रेस्पेरेटरी सिस्टम (सांस लेने में दिक्कत)प्रभावित होने के बहुत पहले सुंघने व स्वाद की तंत्रिकाएं कमजोर हो जाती है।