नई दिल्ली,
दिवाली मौज मस्ती और खुशियों का त्यौहार है, लेकिन पर्व पर हल्की सी लापरवाही आपको हादसे का शिकार बना सकती है। राजधानी के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में हर साल 200 से अधिक लोग दिवाली की रात अस्पताल पहुंचते हैं। जिसमें से 20 प्रतिशत लोग यह वह लोग हैं जो 50 से 60 प्रतिशत जलने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं, जबकि पटाखों की वजह से होने वाली मामूली दुर्घटनाआें के आंकडे़ इससे कहीं अधिक हैं।
सफदरजंग बर्न यूनिट के पूर्व प्रभारी डॉ. आरपी नारायन कहते हैं कि दिवाली पर अधिकांश दुर्घटनाएं गलत ढंग से आतिशबाजी करने के कारण होती हैं। 19 से 20 साल के युवा पटाखे जलाने के संदर्भ में बड़ों की बात नहीं मानते हैं, इसलिए बर्न कैजूएल्टी में इस आयुवर्ग के लोग अधिक आते हैं। बर्न इमरजेंसी में 40 प्रतिशत जलने की स्थिति में यदि मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाएं तो उसे बचा सकते हैं। हर साल पूर्वी दिल्ली और सटे हुए राज्यों से 20 से 30 मरीजों को बर्न यूनिट में लाया जाता है। इसी आधार पर इस साल भी विशेष बर्न इमरजेंसी वार्ड बना दिया गया है, जिसमें 32 बेड आपात स्थिति के लिए आरक्षित होंगे। लाल बहादुर अस्पताल इमरजेंसी में 10 प्रतिशत बर्न का इलाज दिया जा सकता है, इसके लिए मेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों की तैनाती कर दी गई है। राजधानी के विभिन्न जोन के अस्पतालों को बर्न इमरजेंसी से निपटने के लिए आदेश दे दिए गए हैं। वहीं एम्स के एपेक्स ट्रामा सेंटर में मार्ग दुर्घटना आदि से निपटने की व्यवस्था की गई है।
अधूरी हैं बर्न यूनिट की तैयारी
एनसीआर की सबसे बड़ी सफदरजंग अस्पताल की बर्न यूनिट में इस बार बर्न कैजूएल्टी से निपटने की तैयारियां अधूरी हैं। चांदी की कीमत महंगी होने के कारण जले हुए मरीजों को लगाई जाने वाली सिल्वर सल्फाडाजीन एजीएसडी की आपूर्ति एक साल से नहीं हो रही है। इसका विकल्प बिना चांदी की अन्य दवाएं को अपना रहा है। दवा की आपूर्ति करने वाली कंपनी ने चांदी महंगी होने के कारण बीच में ही सप्लाई बंद कर दी है। वहीं बर्न यूनिट में अन्य जरूरी सामान जैसे गॉस, ग्लब्स नॉसप्राइन, एसटूओटू, स्किन ग्राफ्टिंग टैप व स्लाइन बॉथ आदि की सुविधा फिलहाल नहीं दी जा रही है।
कहां करें आपात स्थिति में फोन
गुरुतेग बहादुर अस्पताल- 01122588383
राममनोहर लोहिया – 01123743769
सफदरजंग अस्पताल- 01126163697
लाल बहादुर अस्पताल- 01122786828
लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल- 01123233400