नई दिल्ली: हार्ट यानि का दिल की बीमारी कई प्रकार के होते हैं और हर प्रकार का ना केवल लक्षण अगल होता है बल्कि इलाज भी अलग है। इसी प्रकार हार्ट अटैक और सडन कार्डियक अरेस्ट है, यह दोनों दिल की बीमारी है, लेकिन दोनों की प्रस्थितियां और इलाज अलग हैं। कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के के अग्रवाल का कहना है कि हार्ट अटैक सर्कुलेटरी समस्या है जबकि सडन कार्डियक अरेस्ट, इलेक्ट्रिक कंडक्शन की गड़बड़ी से होता है। लेकिन दोनों के कारण एक जैसे हैं, जिसमें हाई कोलेस्ट्राल, आलसीपन, कसरत न करना, मोटापा, डायबिटीज, और हाई ब्लड प्रेशर शामिल हैं।
डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि दोनों बीमारी के लक्षण और शरीर पर असर अलग हैं। जब ब्लड सप्लाई में ब्लॉकेज आता है तो हार्ट अटैक होता है और दिल में इलेक्ट्रिक गड़बड़ी की वजह से कार्डियक अरेस्ट होता है। दोनों ही जानलेवा हैं और तुरंत कदम उठाना होता है। सीने में जकड़न या कसाव, सांस टूटना, उल्टी, हार्ट अटैक और अचानक बेहोश हो जाना, सांस, नब्ज़ रूकना कार्डियक अरेस्ट के लक्षण हैं। कार्डियक अरेस्ट बिना किसी संकेत के हो जाता है और कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है।
डॉक्टर का कहना है कि दोनों समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं। कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक के बाद हो सकता है। हार्ट अटैक से कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन हार्ट अटैक से कार्डियक अरेस्ट नहीं होता है, लेकिन जब कार्डियक अरेस्ट होता है तो हार्ट अटैक आमतौर पर होता है।
डॉक्टर ने कहा कि अगर आप समझ नहीं पा रहे हैं कि हार्ट अटैक हो रहा है या कार्डियक अरेस्ट, तुरंत डॉक्टर को बुलाएं। हर हालत में हर मिनट कीमती है। कार्डियक अरेस्ट के मामले में मेडिकल कर्मी इलेक्ट्रक कंडक्शन संतुलित कर देगा, सीपीआर इसमें काफी मददगार साबित होता है। हार्ट अटैक के मामले में सीने में दर्द शुरू होने में जितनी जल्दी अस्पताल पहुंच जाए उतना अच्छा होता है।
दिल के लिए सेहतमंद आहार लें, जिसमें फाईबर और एंटीऑक्सीडेंट हों, धुम्रपान नहीं करें, शराब नहीं पीएं, नमक और चीनी का सेवन कम करें, हाईपरटेंशन कंट्रोल में रखें, एक्सरसाइज से हार्ट अटैक का खतरा कम किया जा सकता है। लेकिन कार्डियक अरेस्ट को रोकना हमारे हाथ में नहीं होता् है। वैसे सेहतमंद जीवनशैली से इसका खतरा कम किया जा सकता है।