प्रधानमत्री की उज्जवला योजना के बाद भी देश में 70 लोग ऐसे है जो केरोसिन से निकले धुएं में साँस ले रहे है, यह धुआँ घरो में इस्तेमाल होने वाला केरोसिन तेल, कोयला और स्टोव के इस्तेमाल से निकल रहा है, इस बाबत हाल ही में आईएमए ने एक एहम अध्धययन में इस बार का खुलासा किया है की खाना बनाने के लिए आज भी कई घरो में खाना बनाने के लिए स्टोव का इस्तेमाल होता है जिससे निकलने वाला धुआँ साँस संबंधी परेशानी पैदा करता है. डब्लूएचओ के अनुसार भारत में १.५ करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और हार्ट केयर फाउंडेशन के डॉ के के अग्रवाल ने बताया की बच्चो में बड़ो के अपेक्षा अस्थमा का खतरा अधिक होता है क्यूकि उनकी श्वास छोटी होती है और वह जल्दी संकुचित हो जाती है, डॉ आर ऐन टंडन न बताया की अस्थमा की दो प्रमुख वजह होती है, एक तोह श्वास नहीं में बलगम का जमा होना और दूसरा फेफड़ो की नाली में सूजन हो जाना, दोनों ही स्थिति में शुरुआत में लोग इसे नज़रअंदाज़ करते है, जबकि सही समय पर ध्यान देने से बीमारी को रोका जा सकता है, अस्थमा अक्सर खासी के रूप में शुरू होता है, जो लम्बे समय तक बनी रहती है. कफ सिरप लेने का बाद कुछ दिन आम होने पर दोबारे खासी शुरू हो जाये जो जाँच करानी चाहिए. बच्चो में अक्सर अस्थमा की पहचान करना मुश्किल होता है क्यूकि उनमे छाती में जकड़न कई और परेशानिया होती हैं. बच्चे में यदि अस्थमा की एक बार जाँच हो जाये तो उसे अस्थमा अटैक के बाकि चीज़ो से बचाकर रखना चाहिए. स्कूल को सूचित कर दिया जाना चाहिए जिससे अटैक होने पे सही समय पर मदद दी जा सके,