डॉक्टर लोकेश का कहना है कि हेयर ट्रांसप्लांट कराने से पहले यह जान लें कि न केवल सही क्लीनिक होना चाहिए, बल्कि ट्रांसप्लांट करने वाले सर्जन भी स्पेशलिस्ट हो। उन्होंने कहा कि हेयर ट्रांसप्लांट के कई तरीके होते हैं, इसलिए यह भी जानना जरूरी है कि ट्रांसप्लांट का प्रोसीजर क्या क्या और कैसे किया जाता है।
डॉक्टर ने कहा कि हेयर रूट के साथ होने पर ही ग्रो करते हैं। इस प्रोसिजर के लिए सिर के पीछे वाले हिस्से से बाल निकाला जाता है और आगे वाले हिस्से में जहां बाल नहीं होते, वहां पर ट्रांसप्लांट कर देते हैं। जहां से बाल निकालते हैं, वहां से बालों को रूट समेत निकाला जाता है, जिसमें सेल्स होते हैं। ट्रांसप्लांट के बाद सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और वहां पर बाल ग्रो करने लगते हैं। इसमें दो प्रोसिजर होते हैं। एक-एक बाल निकालकर भी ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिसमें लंबा समय लगता है। दूसरा, स्ट्रीप में बाल निकाले जाते हैं, जिससे एकसाथ कई बाल निकल जाते हैं और बाद में फिर उस जगह पर स्टिच कर दिया जाता है, जो बाद में हील कर जाता है।
डॉक्टर लोकेश के मुताबिक, हेयर ट्रांसप्लांट के प्रोसेस में भी दूसरी सर्जरी जितना ही रिस्क रहता है। लेकिन इसमें कैलकुलेटेड रिस्क है। अगर आप प्रोसिजर को फॉलो नहीं करेंगे तो रिस्क है, नहीं तो रिस्क नहीं के बराबर है। इसके लिए स्पेशलिस्ट क्लीनिक, इमरजेंसी केयर और क्वॉलिफायड डॉक्टर बहुत जरूरी हैं। कहीं भी सर्जरी नहीं करा लेनी चाहिए। अमूमन यह 5 से 7 घंटे का प्रोसिजर होता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। आमतौर पर हर सर्जरी के बाद चेहरे पर स्वेलिंग होती है, जो बाद में ठीक हो जाती है।