बाहर निकला पेट मतलब फैटी लिवर की शुरुआत

नई दिल्ली: बाहर निकलता पेट तंदरूस्ती नहीं बल्कि बीमारी के लक्षण है। लंबे समय तक यदि कोशिश करने के बाद भी पेट अंदर नहीं हो रहा है तो एक बार एलएफटी (लिवर फंकशनिंग जांच) करा ले। बढ़ा हुआ पेट फैटी लिवर की शुरुआत हो सकता है। एम्स और लिवर के अंतराष्ट्रीय संगठन साउथ एशिया लिवर एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित सेमिनार में इस बात का खुलासा हुआ। अहम यह है कि अनियमित दिनचर्या के कारण लिवर की बीमारी के शिकार हो रहे युवाओं का परेशानी का पता तब लगता है जब तकलीफ बढ़ जाती है।

एम्स के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग के डॉ. एच के आचार्या ने बताया कि देशभर में एड्स के बढ़ते मरीजों का जिक्र किया जाता है, लेकिन लिवर संक्रमण के बढ़ते मरीजों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। शहरी युवाओं में दूषित खाना और शराब का अधिक सेवन युवाओं के लिवर को खराब कर रहा है। हालांकि लिवर की बीमारी के संदर्भ में महिलाओं को सुरक्षित माना गया है। महिलाओं में टेस्टोस्ट्रान हार्मोन की वजह से महिलाओं का लिवर सुरक्षित रहता है। जबकि युवाओं में फैटी लिवर का खतरा हार्मोन की वजह से बढ़ जाता है।

अंतराष्ट्रीय संगठन द्वारा किए गए अध्ययन में शहरों में रहने वाली भारत की 35 प्रतिशत आबादी और ग्रामीण क्षेत्र की पन्द्रह प्रतिशत आबादी लिवर के संक्रमण की शिकार है। जिसमें शहरों में असुरक्षित रक्तदान, सूईं और इंजेक्शन के जरिए हेपेटाइटिस सी का संक्रमण बढ़ रहा है, जबकि गांवों में दूषित पानी हेपेटाइटिस बी व ए की वजह देखा गया। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के डॉ. विवेक सारस्वत ने बताय कि हेपेटाइटिस सी संक्रमण के हर साल तीन लाख नये मरीज देखे जा रहे हैं। इसके बचाव के लिए लोगों को जागरुक करना जरूरी है, चिकित्सा जगत अभी तक हेपेटाइटिस सी का वैक्सीन नहीं बना पाया है।

मरीजों का ऑन लाइन पंजीकरण:
लिवर के हेपेटाइटिस ए, बी और सी संक्रमण शिकार मरीजों का सही डाटा रखने के लिए ऑन लाइन रजिस्ट्री शुरू की गई है। लिवर की साउथ एशिया लिवर एसोसिशन इस बावत ग्रामीण इलाकों में भी वायरल लिवर संक्रमण और लिवर के अन्य संक्रमित मरीजों का डाटा तैयार करेगी। डॉ. एसके आचार्या ने बताया कि पंजीकरण के माध्यम से बीमारी के बचाव के लिए नये उपाय अपनाए जा सकते हैं। अब तक उपलब्ध आंकड़ों में पंजाब में सबसे अधिक असुरक्षित इंजेक्शन की वजह से लोग हेपेटाइटिस सी के संक्रमण के शिकार पाए गए। जहां चिकित्सक दवा की जगह हर बीमारी पर इंजेक्शन लगाने की सलाह देते हैं।

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