ब्लैक फंगस नोटिफाइड बीमारी में शामिल, जानें क्या है यह संक्रमण

नई दिल्ली
कोविड मरीजों में बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने संक्रमण को नोटिफाइट बीमारी में शामिल कर लिया है। मंत्रालय ने ब्लैक फंगस के सभी मामलों की जांच और इलाज की जानकारी आईसीएमआर से जिला स्तर पर जुटाने के लिए कहा है। यह भी कहा गया है कि सभी निजी और प्राइवेट अस्पताल संक्रमण के इलाज की सुविधा का बंदोबस्त करें। आईडीएसपी सर्विलांस की सहायता से ब्लॉक स्तर पर संक्रमण की मॉनिटरिंग करने के भी आदेश दिए गए हैं।

आईसीएमआर के जोधपुर स्थित शोध संस्थान से जुड़े कम्यूनिटी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. अरूण शर्मा बता रहे हैं कि ब्लैक फंगस संक्रमण कितना गंभीर है।
म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है?
म्यूकोरमायकोसिस और ब्लैक फंगस संक्रमण हवा, कूड़ेदान, नमी वाली जगह और पानी में मौजूद म्यूकोरसाइट्स मोल्ड के जरिए फैलता है। मुंह, गले और नाक में यह नाक के विषाणु के रूप में नजर आता है। एक स्वस्थ्य व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी जब साथ नहीं देती या फिर कमजोर हो जाती है तब यह संक्रमण की वजह बनता है। इम्यूनोकंप्रोमाइज्ड (प्रतिरक्षा में अक्षम) लोगों में ब्लैक फंगस का गंभीर संक्रमण हो सकता है।

ब्लैक फंगस कोविड के अधिकांश मरीजों को क्यों प्रभावित कर रहा है?
ब्लैक फंगस कोविड के अधिकतर ऐसे मरीजों को संक्रमित कर रहा है जिन्हें अधिक मात्रा में स्टेरॉयड्स दिए गए या फिर जिनकी लंबे समय से डायबिटिज अनियंत्रित है, हालांकि कोविड के अधिकतर मरीजों के लिए स्टेरॉयड को एक सफल कारगर इलाज माना गया है। कोविड के ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर रूप से इंफ्लेमेशन या संकुचन की परेशानी देखी गई, उनको स्टेरॉयड से ही सही किया गया। लेकिन स्टेरॉयड कुशल चिकित्सक की सलाह के बाद ही ली जानी चाहिए, यदि स्टेरॉयड को संक्रमण होने के बाद बहुत पहले से दिया जाने लगे या फिर अधिक दिन तक दिया जाए तो इससे ब्लैक फंगस जैसे अन्य दूसरी तरह के फंगल इंफेक्शन हो सकते हैं।

म्यूकोरमायकोसिस के क्या लक्षण होते हैं?

नाक के आसपास या नाक के अंदर काले धब्बे, गालों पर सूजन, आंखों में दर्द और लालपन ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं। ब्लैक फंगस का यदि सही समय पर इलाज न किया जाएं तो इससे आंखों की रौशनी भी जा सकती है, संक्रमण मस्तिष्क तक पहुंच सकता है और यह मरीज के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। संक्रमण इतना गंभीर होता है कि यदि यह जबड़ो तक पहुंच जाएं तो यह दांतों को खराब कर सकता है और यदि फेफड़ों तक इसका असर हो तो गंभीर निमोनिया हो सकता है।

क्या इसका इलाज संभव है?
यदि ब्लैक फंगस की सही समय पर पहचान हो जाएं तो इसे एंटी फंगल दवाओं से ठीक किया जा सकता है, लेकिन बहुत बार संक्रमण की स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि इलाज करने वाले डॉक्टर को मरीज की जान बचाने के लिए संक्रमित या ब्लैक फंगस प्रभावित हिस्से को सर्जरी कर हटाने जैसे इलाज के सख्त तरीके भी अपनाने पड़ते हैं। ब्लैक फंगस की इस तरह की सर्जरी के लिए संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए अन्य विभाग के विशेषज्ञों की टीम जैसे इंटरनल मेडिसिन, माइक्रोबायोलॉजी, आप्थेमेलॉजी, ईएनटी, न्यूरोलॉजी, पल्मोनोलॉजी, डेंटिस्ट्री और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के विशेषज्ञों की जरूरत होती है।
सर्जरी के दौरान ही मरीज के शुगर के स्तर की भी लगातार मॉनिटरिंग करनी पड़ती है, साथ ही अन्य इम्यूनोसप्रेंट दवाओं को रोक दिया जाता है। इसके साथ इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि चिकित्सक द्वारा दी गई दवाओं को सही से निर्धारित समय तक सेवन किया जाएं जिससे संक्रमण के दोबारा होने की संभावना को खत्म किया जा सके।

ब्लैक फंगस संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है?
कोविड मरीज का इलाज करने वाले चिकित्सक को संक्रमण के शुरूआती चरण में मरीज का सही मार्गदर्शन करना चाहिए। अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में डॉक्टर और नर्स को संक्रमण के लक्षणों को नोटिस करना चाहिए कि मरीज को इलाज के लिए किस तरह के स्टेरॉयड दिए जा रहे हैं या फिर कौन से इम्यूनोसप्रेसि दिए जा रहे हैं।
स्टेरॉयड का असर शरीर पर चार हफ्ते तक रहता है। इसलिए इलाज की इस समयावधि में विशेष ध्यान देना जरूरी है। कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद मरीज को नमी वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए, यदि ऐसी जगह पर जाना अधिक जरूरी है तब थ्री लेयर मास्क, ग्लब्स, चेहरे और हाथों को अच्छी तरह ढक कर जाएं। म्यूकोरमायकोसिस से बचने के लिए मरीज के ऑक्सीजन मास्क और कैन्यूला को अच्छी तरह विसंक्रमित करते रहना चाहिए। मरीज की ऑक्सीजन सप्लाई के समय किस तरह का पानी इस्तेमाल किया जा रहा है इसकी भी नियमित मॉनिटरिंग करते रहना चाहिए, जिससे संक्रमण की संभावना बनी रहती है।

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