भारत दिल के रोगों में दुनिया की राजधानी बनने के करीब पहुंच चुका है। 21वीं सदी की जीवनशैली की अनियमितताएं और तनाव से 30 साल की उम्र तक के लोगों में आम हो रही है। लेकिन छोटे बच्चों में भी दिल के रोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बच्चों मे दिल के रोग जन्मजात भी हो सकते हैं और बाद में भी हो सकते हैं। देश मे 1 प्रतिशत बच्चे जन्मजात दिल की बीमारी से पीड़ित होते हैं जिन्हें ब्लू बेबीज़ कहा जाता है। एक समय था जब इसका कोई इलाज नहीं था और डाॅक्टर उसे बच्चे की किस्मत कह कर पेरेंट्स को जानकारी देते थे। लेकिन पिछले कुछ दशकों में मेडिकल क्षेत्र में हुए विकास के मद्देनज़र सर्जरी के बाद जन्मजात दिल के रोग वाले बच्चे भी आम बच्चों की तरह ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए आईएमए के नेशनल प्रेसीडेंट इलैक्ट एवं एचसीएफआई के प्रेसीडेंट डाॅ केके अग्रवाल ने बताया रियोमेटिक हार्ट डिसीज़ आम तौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों में पाई जाती है और गले के स्टरेप संक्रमण से होती है। इस लिए पेरेंट्स को बच्चों में कभी खांसी को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, जिनमें खांसी ना हो लेकिन छींके आ रही हों क्योंकि यह बैक्टीरीया के संक्रमण का आम लक्ष्ण है जो दिल के रोगों का कारण बनता है, जिससे बच्चे के दिल की वाल्वज़ पर असर होता है। वैसे गला ख़राब होने, जोड़ों में सूजन और बुख़ार बच्चों में ठीक हो सकते हैं, लेकिन दिल के वाॅल्व का स्थाई तौर पर क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है, जिससे आमवात दिल का रोग हो सकता है। पीड़ित बच्चे का वाल्व बदलना पड़ता है अगर सही समय पर ना किया जाए तो जान भी जा सकती है।
देश के बहुत सारे बच्चे जन्मजात और आमवात दिल के रोगों से सिर्फ इसलिए मौत के मुंह में चले जाते हैं क्योंकि यहां पर उन्हें इलाज की सुविधाएं नहीं मिलती ख़ास कर जटिल जन्मजात दिल के रोगों के लिए इलाज नहीं मिल पाता। इसके साथ ही महंगी सर्जरी का खर्च ना उठा पाने के कारण पेरेंट्स बीमारी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और इसे बच्चे की किस्मत मान लेते हैं। बहुत से लोगों को नहीं पता हर मुश्किल के रास्ते निकाले जा सकते हैं और मदद ली जा सकती है।
ऐसे बच्चों के लिए निम्नलिखित विकल्प मौजूद हैं-
: समीर मलिक हार्ट केयर फाउंडेशन फंड, हार्ट केयर फाउंडेशन की पहल है जो ज़रूरतमंद बच्चों को दिल के इलाज के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसके हेल्पलाईन नम्बर 9958771177 पर सोमवार से शनिवार फोन करके कोई भी इस मदद के लिए आवेदन कर सकता है।
: देश के कई हिस्सों में रोटरी क्लब बच्चों के दिल के रोगों का इलाज मुफ्त में करवाते हैं।
: सलमान ख़ान द्वारा चलाई जा रही संस्था बींग हयूमन जन्मजात दिल के रोगों के लिए बच्चों की आर्थिक सहायता करती है।
: लगभग सभी प्रदेश गरीबी रेखा या इसके सामान कार्डधारको को जन्मजात दिल के रोगों के लिए एक लाख रूपए तक की सहायता प्रदान करते हैं।
: दिल्ली प्रदेश सरकार भी उन बच्चों को आर्थिक सहायता देती है जिनके पेरेंट्स की आमदन तीन लाख सालाना से कम है।
: पेरेंट्स कानूनी सलाहकार की मदद से नगर निगम में इस मदद के लिए आवेदन कर सकते है, और विधायक या सांसद के ज़रिए प्रधान मंत्री राहत फंड से भी मदद ले सकते हैं।
: बेंगलूर स्थित पूत्तापारथी हार्ट सेंटर भी ऐसे बच्चों की मुफत सर्जरी करता है।
: महेश्वरी क्लब, महेश्वरी परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा देता है, ऐसी और भी कई संस्थाएं हैं जो सेवा प्रदान करती हैं।
: लोग अपने धार्मिक संस्थाओं गुरूद्वारों, मस्जिदों और हिंदू महासभा से भी मदद के लिए संपर्क कर सकते हैं।
: आर्टिकल 21 के तहत नागरिक अपने प्रदेश सरकार से मुफ्त सर्जरी की सुविधा प्राप्त करने के लिए हाई कोर्ट जा सकता है।
: प्रदेशों में स्थित सरकारी हस्पताल भी कई तरह की मुफ्त सर्जरियां करते हैं, जैसे दिल्ली का जीबी पंत हस्पताल सभी की दिल की सर्जरी मुफ्त करता है।
: सफदरजंग हस्पताल दिल के रोगों के पूरे देश के मरीज़ों की मुफ्त सर्जरी करता है।
: लोग पीएसयूज़ से उनकी सीएसआर पाॅलिसी के तहत भी सहायता के लिए संपर्क कर सकते हैं।
: लोग बड़ी प्राईवेट कंपनियों से भी उनकी सीएसआर पाॅलिसी के तहत सहायता के लिए संपर्क कर सकते हैं।
: हम बस यह चाहते हैं कि सिर्फ आर्थक तंगी की वजह से देश में कोई भी बच्चा केवल इलाज की वजह से ठीक होने वाली बीमारी से मौत के मुंह में ना चला जाए।