नई दिल्ली: इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर ने घुटने के साधारण फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए आर्थोस्कोपी (सुक्ष्म कैमरा) का पहली बार इस्तेमाल करने का दावा किया है। इस तकनीक के तहत चिकित्सक अंदरूनी क्षति को देखने के लिए जोड़ोके अंदर तक जाने के लिए सुक्ष्म कैमरे का इस्तेमाल करते हैं। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मनिंदर सिंह ने बताया कि हड्डियों या जोड़ के फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए पारंपरिक विधि में जिस तरह के प्लास्टर की प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है, उसमें घुटने के अंदर की कार्टिलेज की सुक्ष्म क्षति को नहीं देखा जा सकता। जिससे फ्रैक्चर की जटिलता बढ़ जाती है। इसलिए कार्टिलेज की क्षति को देखने के लिए आर्थोस्कोपी या बेहद सुक्ष्म कैमरे को जोड़ों तक पहुंचाया जाता है। जिससे कार्टिलेज की क्षति को भी ठीक करने की कोशिश की जाती है। जबकि कार्टिलेज बिना घुटनों का इलाज करने पर दर्द आजीवन बना रहता है। इंजरी सेंटर के घुटने और एड़ी यूनिट में आर्थोस्कोपी की मदद से करने का प्रोटोकॉल बनाया गया है।