चिकित्सक अक्सर शराब से बचने की सलाह देते हैं क्योंकि शराब के अधिक सेवन से दिल के दौरे सहित दिल की गंभीर बीमारियां होने का खतरा होता है लेकिन फरीदाबाद के क्यूआरजी हास्पीट्ल्स के चिकित्सकों ने दिल की समस्याओं से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए अल्कोहल का उपयोग करना शुरू किया है। इस नई विधि को ‘अल्कोहल सेप्टल एब्लेशन’ कहा जाता है। क्यूआरजी के चिकित्सकों ने इस विधि की मदद से ”हाइपरट्रोपिक कार्डियोमायोपैथी’ से ग्रस्त 47 वर्षीय व्यक्ति का इलाज सफलतापूर्वक किया है। ‘हाइपरट्रोपिक कार्डियोमायोपैथी’ दिल की आम बीमारी है जिसमें दिल की मांसपेशी मोटी हो जाती है और यह अचानक मौत का कारण बनती है।
क्यूआरजी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डा. गजेन्द्र गोयल ने बताया कि पिछले एक साल से अधिक समय से इस मरीज को छाती में दर्द की समस्या थी और जरा सा भी अधिक श्रम करने पर उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगती थी। जांच से पता चला कि उसे हाइपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी है जिसमें दिल की मांसपेशियां मोटी हो जाती है और ह्रदय रक्त को पंप नहीं कर पाता। इससे छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत तथा चक्कर आने जैसी समस्याएं होती है खास तौर पर अधिक श्रम करने पर।”
इस समस्या के इलाज के लिए मानक मानी जाने वाली विधि के जरिए मरीज का उपचार किया गया लेकिन दिन पर दिन मरीज की हालत बिगडती चली गई और आखिरकार उसे ओपन हार्ट सर्जरी कराने की सलाह दी गई। लेकिन मरीज यह सर्जरी कराने को तैयार नहीं थी।
डा. गजेन्द्र गोयल ने बताया, ”हमारी टीम ने ”अल्कोहल सेप्टल अब्लेशन” नामक नई इंटरवेंशनल तकनीक का सहारा लेने का फैसला किया। इस तकनीक में बैलून के जरिए ह्रदय की सेप्टल आर्टरी को बंद कर देते हैं और डेढ मिलीलीटर शुद्ध अल्कोहल प्रवाहित करते हैं। यह अल्कोहल ह्रदय की अतिरिक्त मांसपेशी को जला देती है और इस तरह हमारा ह्रदय रक्त पंप करने लगता है।”
मरीज को इस नई विधि से इलाज करने के दो दिन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली गई। अस्पताल से घर जाने के समय उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं थी। अब मरीज बिना किसी परेशानी के दैनिक दिनचर्या के सभी काम करने में सक्षम है।
डा. गजेन्द्र गोयल के अनुसार चिकित्सा के बाद ह्रदय मांसपेशी का मोटापन 50 प्रतिशत से अधिक घट गया और छह माह की अवधि में यह और घटेगा। बाईपास सर्जरी एवं पेसमेकर के विपरीत यह बहुत ही सस्ता है तथा इसमें मरीज को बहुत तेजी के साथ स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
अल्कोहल सेप्टल एबलेशन की इस विधि में एक पतली लचीली ट्यूब की जरूरत होती है जिसे कैथेटर कहा जाता है। इसके अगले सिरे पर एक बैलून लगाई जाती है। मरीज के पेडु और जांघ के बीच के हिस्से (ग्रोइन) की एक रक्त नलिका से इस ट्यूब को प्रविष्ट कराकर आर्टरी के उस हिस्से तक ले जाया जाता है जो सेप्टम को रक्त पहुंचाता है। इसके बाद चिकित्सक उस ट्यूब में अल्कोहल प्रवाहित करते है। अल्कोहल ह्रदय के उस हिस्से तक जाता है जो मोटा है। इस अल्कोहल के प्रभाव के कारण मरीज के ह्रदय की मांसपेशी सिकुड जाती है और मर जाती है।
इससे ह्रदय तथा शरीर को होने वाले रक्त प्रवाह में सुधार होता है। इसके बाद डाक्टर बैलून को पिचका देते हैं और ट्यूब को मरीज के शरीर से बाहर निकाल लेते हैं।