नई दिल्ली,
सर्दियों का असर अब हाथ पैरों को जकड़ रहा है। सर्द हवाओं के सीधे संपर्क में आने वाली पैरों की अंगुलियां और हाथ के जोड़ में चिल ब्लेन की समस्या आम हो गई है। जिसका असर 6 से 8 दिन तक रहता है। हाथ व पैर को खून पहुंचाने वाले छोटी नसों में ठंड के कारण खून का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे पैरों में खुजली युक्त लाल छाले हो जाते हैं। यह समस्या घंटे पानी में देर तक काम करने वाली बाई या घर का काम करने वाली महिलाओं में भी देखी जा रही है।
सिक्स सिगमा हेल्थ केयर के डॉ. बलदेव बत्रा ने बताया चिल ब्लेन किसी भी आयुवर्ग के ऐसे व्यक्ति को हो सकता है, जो तीन से चार घंटे लगातार ठंड या ठंडे पानी के संपर्क में रहते हैं। हालांकि पैर व हाथ के अलावा चिल ब्लेन का असर कान के पिछले हिस्से में भी देखा जा सकता है। पैर व हाथ ही अंगूली तक खून पहुंचाने वाली छोटी कैपिलरी नसों में खून का दौरा अधिक ठंड के कारण रूक जाता है। जिसके कारण सूजन व खुजली होने लगती है। यदि खून में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक है तो चिल ब्लेन होने की संभावना 40 फीसदी बढ़ जाती है। अस्पताल की ओपीडी में सप्ताह भर में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। बचाव के लिए मरीजों को अधिक ठंड में बाहर न रहने की सलाह दी जाती है। 50 साल के बाद चिल ब्लेन गैंगरीन या फिर त्चचा के अल्सर में भी बदल सकता है।
क्या हैं लक्षण
-पैरों व हाथ में तेज टीस के साथ यदि ठंड का अनुभव हो
-बाहर रहने पर यदि पन्द्रह मिनट में नाक लाल हो या नाक से पानी बहे
-जूते पहनने पर भी पैरों की अंगुलियों में जकड़न का अनुभव हो
-पतले लोगों में चिल ब्लेन की समस्या अधिक देखी गई है।
क्या है बचाव
-प्रभावित जगह के खून का दौरा सामान्य करने का प्रयास करें
-जूते पहनने से पहले पैरां में आयोडेक्स का प्रयोग कर सकते हैं।
-चिल ब्लेन होने पर तुरंत सिंकाई शुरू न करें, गरम तेल की मालिश है बेहतर
-छाले यदि अधिक लाल हों तो चिकित्सक से संपर्क करें, पर्याप्त गरम कपड़े पहनें
क्या है चिल ब्लेन
पैरों में खून पहुंचाने वाली छोटी नसों में खून का संचार बाधित होने से चिल ब्लेन की समस्या होती है। सर्दी के सीधे संपर्क में रहने वाले लोगों को यह तकलीफ अधिक होती है। चिल ब्लेन यदि गंभीर स्थिति में पहुंच गया है तो पैरों को सर्दी के संपर्क से बचाना चाहिए, जबकि मोजे या फिर जूते पहनने से पहले विक्स लगाना बेहतर होता है।