सर गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी में उत्तर प्रदेश से 34 वर्षीय महिला गायत्री (बदला हुआ नाम) 2 महीने पहले इलाज के लिए पहुंची, जो पूरी तरह से एक पुरुष में परिवर्तित होना चाहती थी। सभी जांचों से यह पाया गया कि यद्यपि रोगी महिला थी लेकिन मानसिक रूप से वह पुरुष थी, एक ऐसी स्थिति जिसे जेंडर डिस्फोरिया (Gender Dysphoria) कहा जाता है। पिछले 6 वर्षों में गायत्री को 2017 में ऑपरेशन द्वारा अपने दोनों स्तन हटवाये और 2019 में गर्भाशय, अंडाशय और योनि हटवा चुकी थी। वह 2016 से पुरुष हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी पर थी। सर गंगा राम अस्पताल में पहुंचने के समय, गायत्री में सभी पुरुष लक्षण थे जैसे – दाढ़ी, छाती पर बाल,पुरुषों वाली आवाज और पुरुष व्यवहार आदि थे।
डॉ. भीम सिंह नंदा, सीनियर कंसलटेंट, डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, सर गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली के अनुसार, “हमने टिश्यू ट्रांसफर की अत्याधुनिक माइक्रो-सर्जिकल तकनीक द्वारा पूर्ण पुरुष परिवर्तन के लिए शिश्न (पुरुष लिंग) को महिला के हाथ पर पुनर्निर्माण करने का फैसला किया। हमारा उद्देश्य रोगी को अच्छा आकार, लंबाई, मूत्रमार्ग (पेशाब करने के लिए) और कामुक संवेदना देना था।“सभी तकनीकों में से हमने शिश्न (लिंग) पुनर्निर्माण के लिए हाथ और कलाई (फोरआर्म) को डोनर के रूप में चुना। यह एक चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी क्योंकि शिश्न (लिंग) को बांह की कलाई पर धमनियों और सभी महत्वपूर्ण नसों को बचाया। अगला कदम पुनर्निर्मित लिंग को मरीज के गुप्तांग की जगह में प्रत्यारोपित करना था।
डॉ. नंदा ने आगे कहा, “दूसरी चुनौती मूत्रमार्ग (मूत्रनली) से जोड़ना था और फिर से बनाए गए लिंग में रक्त के प्रवाह को फिर से शुरू करने के लिए धमनियों को जोड़ना था। अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम पुनर्गठित लिंग को कामुक नसों के साथ जोड़ना था, जो बाद में लिंग प्रत्यारोपण और यौन संतुष्टि के लिए सबसे महत्वपूर्ण पूर्व-आवश्यकता है।“