नई दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर आशुष्मान डिजिटल भारत मिशन की शुरूआत की। डिजिटज मिशन के माध्यम से देशभर के 24000 छोटे बड़े अस्पताल डिजिटल अभियान से जुड़गें। हालांकि इस योजना का पायरट प्रोजेक्ट पहले से ही छह संघ शासित राज्यों में संचालित किया जा रहा है। लेकिन 15 अगस्त 2020 स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि पूरे देश के लिए डिजिटल हेल्थ कार्ड लांच किया जाएगा। जिससे देश की जनता को बड़ा फायदा होगा और 21वीं सदी में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर कोआर्डिनेशन और इंप्लीमेंटेशन में मदद होगी। एनआरएचएम से लेकर एम्स तक भारत सरकार ने राज्य सरकारों के साथ स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बल देने का काम किया है।
पीएम ने योजना की शुरूआत करते हुए कहा कि अभी एक ही बीमारी के लिए अलग-अलग अस्पतालों में जाकर एक ही टेस्ट को बार-बार कराने की जरूरत पड़ती थी। खासतौर से अगर कोई मरीज किसी दूसरे शहर जाकर इलाज कराना चाहे तो दोबारा से सभी टेस्ट कराने पड़ते थे। इसकी वजह से ई संजीवनी* जैसी योजनाओं का भी भरपूर लाभ ऑनलाइन कंसंट्रेशन के जरिए नहीं मिल पा रहा था, जिससे समय और संसाधन दोनों का नुकसान हो रहा था। अब इस योजना के तहत पेपरलेस डिजिटल तरीके से देश की बड़ी आबादी के हेल्थ रिकॉर्ड को रखा जाएगा और उसी के आधार पर मौजूदा हेल्थ सिस्टम का उपयोग होगा, साथ ही भविष्य की हेल्थ संसाधन योजनाओं पर भी काम होगा। अभी तक जिन राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना का कार्यान्वयन हुआ वह सभी केंद्र शासित प्रदेश थे, लेकिन अब देशव्यापी स्तर पर डिजिटल हेल्थ कार्ड में राज्य सरकारों के सहयोग की भी दरकार है ,हालांकि इसके पीछे के संसाधनों को पहले ही मजबूत बनाया गया है। महामारी में कमी के बाद देश में फिर से हेल्थ टूरिज्म को विकसित किया जा सकता है, साथ ही खुशी इस बात की भी है कि विश्व मानचित्र पर यह दिखाया जाए कि भारत में टीकाकरण की रफ्तार से लेकर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इतना विकसित है कि, विदेशी पर्यटक आसानी से भारत घूम सकते हैं, हालांकि एक बड़ा सवाल डिजिटल डाटा सेफ्टी और पर्सनल प्राइवेसी को लेकर भी है। जिसके जवाब में देश के प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि व्यक्तियों का निजी डेटा, डिजिटल हेल्थ स्कीम और कार्ड के तहत पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा।
योजना के ऐलान के बाद अब प्रयास इस योजना को जमीन पर पहुंचाने की है, क्योंकि इससे पहले आयुष्मान भारत योजना लंबे समय तक राजनीति की वजह से कुछ राज्यों के लाभार्थियों से दूर रहे, अब स्वास्थ्य मंत्रालय अपने स्तर पर राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने की योजना बना रहा है। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश की बड़ी आबादी को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के लिए हेल्थ सुविधाएं देने की जरूरत है।.जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ निजी क्षेत्र भी काम कर रहा है, लेकिन अब फार्मेसी से लेकर लैब तक, पेशेंट से लेकर डॉक्टर तक ,सबको एक डिजिटल प्लेटफार्म देने की कोशिश की गई है। इससे पहले भी भारत ने आरोग्य सेतु के जरिए कोरोना की रोकथाम और टीकाकरण में सफल डिजिटल प्रयोग करके दिखाया है। ऐसे में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन स्वास्थ्य क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
क्या होगी डिजिटल मिशन की खास बातें
– देश के 24,000 छोटे-बड़े अस्पताल डिजिटल मिशन से जुड़ेंगे
– 4 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को होगा इससे फायदा
– 80,000 प्राइमरी हेल्थ सेंटर को भी डिजिटल रूप से जोड़ा जाएगा
– हजारों प्रधानमंत्री जन औषधि फार्मेसी से दवाइयों की उपलब्धता की जानकारी डेटाबेस में पहुंचेगी, इसमें मरीजों की बीमारी का रिकॉर्ड पहले किए हुए टेस्ट उनकी मौजूदा स्थिति का विवरण होगा
– डॉक्टर, हेल्थ वर्कर ,पैरामेडिक्स, फार्मेसी स्पेशलिस्ट, करीबी अस्पताल की जानकारी भी एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध रहेगी
– ड्रोन के जरिए देश के 6 लाख गांव की ट्रैकिंग का काम चल रहा है
– देश में 42 करोड़ जनधन अकाउंट है
– 80 करोड़ भारतवासी इंटरनेट से जुड़े हैं
– 118 करोड़ मोबाइल कनेक्शन देशभर में मौजूद है
– 130 करोड़ आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं
– प्राइमरी डिस्पेंसरी तक ब्रॉडबैंड और डिजिटल इनपुट से युक्त है