नई दिल्ली,
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में केरल में कोरोना के पन्द्रह मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के प्रयोग की अनुमति दी है। यूएसएफडी ने भी कुछ मरीजों पर इस थेरेपी के प्रयोग शुरू कर दिया है। प्लाज्मा थेरेपी क्या है और यह सेल्स पर किस तरह काम करती है, इसकी विस्तृत जानकारी के लिए हमने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. नरेन्द्र सैनी से बात की-
लाल और सफेद रक्त कणिकाओं की तरह की प्लाज्मा भी मानव शरीर के रक्त के अवययोें में प्रमुख है। प्लाज्मा में एंटी बॉडीज होती है, कोरोना से ठीक हुए मरीजों के प्लाज्मा में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटी बॉडी या रक्षा कवच बन जाता है। ऐसे प्लाज्मा का प्रयोग दूसरे कोरोना मरीजों के लिए किया जा सकता है क्योंकि ठीक हुए मरीज के सेल्स में कोरोना के लिए रक्षा कवच तैयार हो चुका होता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने केरल में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों का इलाज करने की अनुमति दे दी है। इससे पहले अमेरिका सहित अन्य कई देश प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज कर रहे हैं।
कैसे होगा प्लाज्मा का प्रयोग
कोरोना से ठीक हुए मरीज के रक्त में उपस्थित प्लाज्मा की एंटी बॉडी को लेकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों में इंजेक्ट कर दिया जाता है। इसके बाद धीरे धीरे दो से तीन दिन में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शरीर में पहुंचे कोरोना की एंटी बॉडी पॉजिटिव मरीज में भी संक्रमण के लिए रक्षा कवच तैयार कर देती है। कोरोना के ठीक हुए मरीजों की अनुमति के बाद ही उसके रक्त से प्लाज्मा को निकाल कर अन्य संक्रमित मरीजों में उसे इंजेक्ट किया जाता है। इसमें मरीज के शरीर से होल ब्लड की जगह केवल प्लाज्मा अवयय को ही लिया जाता है, और उसकी एंटी बॉडी से संक्रमित मरीज में भी वायरस के खिलाफ एंटी बॉडी बनना शुरू हो जाती है।