नई दिल्ली: लाइफ स्टाइल की वजह से हार्ट अटैक के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। अब तो युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन बेहतर लाइफस्टाइल और सही जानकारी से इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। कई बार हार्ट अटैक की वजह से सर्जरी की नौबत आती है और कई बार केवल मेडिसिन से इसका इलाज हो जाता है।
देश के जाने माने हार्ट सर्जन डॉ. जेड. एस. मेहरवाल का कहना है कि हमारे हार्ट को लगातार काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरुरत होती है। हॉर्ट को ऑक्सीजन ब्लड के जरिए मिलता है। लेकिन जब हार्ट को ब्लड पहुंचाने वाली नसों में फैट जमा हो जाता है तो हार्ट को ब्लड की सप्लाई कम हो जाती है। फैट की इसी परत को ब्लॉकेज कहा जाता है। अगर किसी के परिवार में हार्ट की बीमारी की हिस्ट्री है तो उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। लेकिन गलत लाइफस्टाइल की वजह से भी इस बीमारी का खतरा रहता है। खानपान ठीक नहीं होने, स्मोकिंग करने, एक्सरसाइज नहीं करने और स्ट्रेस में होने की वजह से भी हार्ट अटैक हो सकता है।
डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि हार्ट अटैक के दौरान दिल की मांसपेशियों के एक हिस्से को खून की सप्लाई पूरी तरह से रुक जाती है। इससे दिल की मांसपेशियों को ब्लड और ऑक्सीजन नहीं मिलता और दिल की धड़कन कम होने लगती है। माइनर हार्ट अटैक में दिल की मांसपेशियों का 5-10 पर्सेंट पर असर होता है, जबकि मेजर हार्ट अटैक में 30-40 पर्सेंट पर असर होता है।
डॉ. मेहरवाल के अनुसार ब्लॉकेज तीन तरह के हो सकते हैं। अगर ब्लॉकेज क्रिटिकल हो और दो-तीन से ज्यादा जगह पर ब्लॉकेज हो तो बाईपास ही फायदेमंद है। बाईपास एक बड़ा ऑपरेशन है। इसमें मरीज के दिल की धड़कन थोड़ी देर के लिए रोककर मशीन से खून की सप्लाई जारी रखी जाती है। अगर एक या दो आर्टरी में रुकावट हो तो स्टेंट लगाया जा सकता है, लेकिन अगर सभी आर्टरीज में ब्लॉकेज हो, दो आर्टरीज में सौ फीसदी ब्लॉकेज हो या लेफ्ट मेन आर्टरी बंद हो तो बाईपास कराने की सलाह दी जाती है। बाईपास सर्जरी के बाद आमतौर पर मरीज 10-12 साल तक ठीक रह सकता है।