नई दिल्ली,
शारीरिक श्रम करने के मामले में दुनिया भर के लोग बेहद आलसी पाए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को इस बावत लांसेट में प्रकाशित एक अध्ययन को जारी किया। जिसमें पाया गया कि वर्ष 2001 से 2016 तक लोगों के मेहनत करने के पैटर्न में कोई खास बदलाव नहीं आया है। हर पांच व्यक्ति में चार लोग शारीरिक श्रम करने में पीछे हैं, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का आंकड़ा इस संदर्भ में अधिक है। डब्लूएचओ ने सचेत किया है कि शारीरिक श्रम का यदि यहीं आंकड़ा अगले पांच साल तक बना रहा तो वर्ष 2024 मेहनत करने के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर किसी भी देश को खरा पाना मुश्किल होगा।
विश्व भर के 168 देशों को अध्ययन में शामिल किया गया, जिनसे दो तरह के पैटर्न पर उनकी दिनचर्या के बारे में जानकारी ली गई। क्यूएमआर सीट पर पूछे गए सवालों के अधिकांश जवाब में आए उत्तर के अनुसार अधिकतर लोग सहूलियत भरी दिनचर्या के आदि हो गए हैं। महिलाओं को आधुनिक तकनीक ने अधिक आलसी बनाया है। वर्ष 2001 से 2016 के बीच हुए अध्ययन में किसी भी एक देश को मानकों पर खरा नहीं पाया गया। डब्लूएचओ के अनुसार हफ्ते में कम से कम 150 मिनट साधारण वॉक और 75 मिनट मॉडिरेट या तेज गति की चाल को स्वस्थ्य रहने के लिए जरूरी बताया गया है। भारत में इस अध्ययन में छह राज्यों को शामिल किया गया है, जिसमें असम, मिजोरम, कर्नाटका, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश को शामिल किया गया। अध्ययन में 18 से 90 साल की आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया। विकाससील देशों की अपेक्षा विकसित देशों में आलस्य की यह प्रवृति अधिक देखी गई, जहां छोटे काम को करने के लिए भी लोग इलेक्ट्रिक उपकरणों का सहारा लेते हैं।