नई दिल्ली: जॉनसन एंड जॉनसन के जिस हीप इंप्लांट को अमेरिका में बाजार से वापस करवाया गया था और बिक्री पर रोक लगाई थी उसी इंप्लांट को भारत में लांच करने का गंभीर आरोप कंपनी पर लगाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कंपनी ने इस बारे में सरकार और ड्रग्स कंट्रोलर को भी सही सूचना मुहैया नहीं कराई, जिसकी वजह से भारी संख्या में भारत में भी लोग इस कंपनी के इंप्लांट लगवाए। लेकिन सूचना मिलते ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कंपनी इस मामले में दोषी है, कंपनी ने जानबूझ कर दोषपूर्ण इंप्लांट भारत में लांच किया। जानकारी के अनुसार कमेटी ने कंपनी को ऐसे लोगों की तलाश करने और उनकी फिर से सर्जरी करने की सिफारिश की है और साथ में सर्जरी कराने वाले लोगों को 20 लाख का मुआवजा देने को कहा है। सोमवार को इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि सरकार इसे गंभीरता से ले रही है। वहीं कंपनी ने इस मामले में सर्जरी कराने वाले लोगों की तलाश करने के लिए अपने वेबसाइट पर हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया है।
इस बारे में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर रमणीक महाजन ने कहा कि चिंता की बात यह है कि जिसकी सर्जरी हुई है उसका पता नहीं चल रहा है। क्योंकि यह मामला साल 2010 का है, आठ साल पुराना मामला है। लोग दूर दूर से इलाज कराने के लिए आते हैं, जिसे दिक्कत हुई होगी उसने दोबारा अपनी सर्जरी करा भी ली होगी और उसे यह भी नहीं पता होगा कि उसे किस कंपनी का इंप्लांट लगा है। इसलिए सबसे पहले ऐसे मामले के लिए सरकार को एक रजिस्टरी बनाना अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि ऐसे मामले में मरीज और इंप्लांट का हर डिटेल्स मौजूद हो। इस बारे में डॉक्टर बी एस राजपूत ने कहा कि दरअसल यह मेटल ऑन मेटल इंप्लांट था, कंपनी के डिजाइन में फॉल्ट था। मेटल ऑन मेटल होने की वजह से आपस में घिसने पर इसके कण टूटने लगते हैं और यह कण जहरीला होने की वजह से टिशू को डैमेज करने लगता है। कई बार जाइंट पर जाकर जमा हो जाता है और इंफेक्शन कर देता है। यही नहीं यह ब्लड में मिलकर बॉडी के बाकी ऑर्गन को भी डैमेज कर देता है, इस वजह से इस इंप्लांट को वापस लिया गया था।