होली का केमिकल लोचा

मोनिका सिंह, नई दिल्ली: होली और हुड़दंग का पुराना रिश्ता रहा है, लेकिन होली के रंग में इस्तेमाल केमिकल सेहत और स्किन के साथ बड़ा लोचा भी बनता रहा है। रंगों के इस केमिकल लोचा की वजह से हर साल सुनने और देखने को मिलता है, जिसमें केमिकल कलर्स रंग में भंग कर देता है। इस होली पर आप सिंथेटिक रंगों से बचने की कोशिश जरूर करें, क्योंकि इसका केमिकल आंखों, सांस की नली और हार्ट के लिए नुकसानदेह होता है।

इन रंगों से कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। होली पर मिलने वाले इन अलग अलग रंगों में क्या क्या केमिकल्स मिले होते हैं और इसका सेहत पर क्या असर होता है, आइए इस बारे में जानते हैं डॉक्टरों की राय:

काला रंग: काले कलर में लेड ऑक्साइड होता है। अगर इसकी ज्यादा मात्रा शरीर में चली जाए, तो किडनी खराब हो सकती है।

हरा रंग: हरे रंग में कॉपर सल्फेट मिला होता है, जिससे स्किन और आंखों में एलर्जी हो सकती है। दमे के मरीजों के लिए भी यह खतरनाक साबित हो सकता है।

सिल्वर रंग: सिल्वर और गोल्डन पेंट में एलुमिनियम ब्रोमाइड होता है। इससे स्किन और लंग कैंसर हो सकता है।

लाल रंग: लाल कलर में मरक्यूरी सल्फाइट होता है। यह बहुत जहरीला रंग है और इससे स्किन एलर्जी और रिएक्शन के साथ साथ अंधेपन का खतरा भी पैदा हो सकता है।

गुलाल : गुलाल में सिलिका या एस्बेस्टस का बेस होता है और चमक देने के लिए बारीक कांच भी मिलाया जाता है। इससे स्किन एलर्जी और इन्फेक्शन के साथ साथ घाव भी हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *