रैंक सुधार के लिए पैसे मांगे जाने के मामले में एनबीई ने पुलिस में की कंप्लेन, होगी जांच

नई दिल्ली: एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टरों द्वारा पीजी एग्जाम में रैंक में सुधार को लेकर पैसे की मांग को हेल्थ मिनिस्टरी के ऑटोनोमस बॉडी नैशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) ने इस मामले की जांच के लिए लोकल पुलिस, क्राइम ब्रांच और साइबर सेल में कंप्लेन दर्ज कराई है। एनबीई ने प्रेस रीलिज जारी कर कहा है कि हमने इस मामले को गंभीरता से लिया है, इसलिए पुलिस को जांच करने के लिए कंप्लेन दी है। एनबीई ने यह भी साफ कर दिया है कि रैंक में सुधार के लिए हमारी तरफ से किसी भी कंडीडेट्स को फोन नहीं किया गया है।

एनबीई ने नैशनल एलिजिब्लिटी कम इंट्रेस टेस्ट (NEET) के तहत पीजी एग्जाम लिया था, जिसमें 1,28,917 एमबीबीएस कंडीडेट्स ने हिस्सा लिया था। 23 जनवरी को इसका रिजल्ट घोषित किया गया। पहली बार रैंक से पहले केवल नंबर जारी किया गया था। इसी को देखते हुए एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टर असोसिएशन ने सवाल उठाया था। उनका आरोप था कि अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ है, रैंक और नंबर जारी में जारी होना चाहिए। असोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि नंबर आने से कंडीडेट्स को यह पता नहीं चल पाता है कि उसका रैंक क्या है? एडमिशन रैंक बेसिस पर होता है, इसलिए कंडीडेट्स के पास कॉल आने शुरू हो गए थे, जिसमें पैसे लेकर रैंक में सुधार करने का लालच दिया जा रहा था।

डॉक्टर भाटी ने कहा कि हमारी शिकायत और मीडिया में खबर आने के बाद एनबीई ने कंप्लेन दी है। लेकिन जब तक मामले की सही से जांच नहीं होती, करप्शन में लिप्त लोग पकड़े नहीं जाते, तब तक कंप्लेन से क्या फायदा? यह डॉक्टरों का भविष्य और मरीजों के भविष्य से जुड़ा मामला है। सिस्टम के फ्लोर की वजह से टैलेंटेड लोग पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बार सिस्टम बहुत धीमा चल रहा है। 23 को रिजल्ट आया, रैंक नहीं आया। अब जाकर ट्राइब्रेकर जारी किया गया है, यानि कि अगर किसी कंडीडेट्स का नंबर एक होता है तो उसमें सीनियरिटी उनके एमबीबीएस एग्जाम में आए नंबर पर होगा, जबकि पहले उम्र के आधार पर होता था। एनबीई का कहना है कि 15 फरवरी को इस एग्जाम का रैंक भी जारी कर दिया जाएगा और इसका जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी जाएगी।

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