नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर और सस्ती सुविधा के लिए सरकार ने नयी ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति’ बनाई है और चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता के लिये ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक’ पेश किया है। राष्ट्रपति ने बजट सत्र के प्रारंभ में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि गरीब और मध्यम वर्ग की एक बड़ी चिंता बीमारियों के इलाज से जुड़ी रहती है। इलाज के खर्च का आर्थिक आघात, बीमारी के आघात को और भी अधिक कष्टकारी बना देता है।
उन्होंने अपने अभिभाषण में कहा, ‘‘मेरी सरकार ने गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर और सस्ती सुविधा के लिए नई ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति’ बनाई है। इसके साथ ही ‘राष्ट्रीय आयुष मिशन’ द्वारा योग-आयुर्वेद जैसी परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी है कि देश में टीकाकरण की जो वृद्धि दर पहले सिर्फ 1 प्रतिशत प्रतिवर्ष हुआ करती थी, वह अब बढ़कर 6.7 प्रतिशत प्रतिवर्ष पहुंच गई है। इससे, देश के दूर-दराज, विशेषकर आदिवासी इलाकों में रहने वाले बच्चों को भी बहुत लाभ मिला है। हाल ही में मेरी सरकार ने ‘तीव्र मिशन इंद्रधनुष’ (इंटेन्सिफाइड मिशन इंद्रधनुष)’ भी शुरू किया है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने लोक सभा में ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक’ भी प्रस्तुत किया है। कोविंद ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री जन औषधि’ केन्द्रों के माध्यम से गरीबों को 800 तरह की दवाइयां सस्ती दरों पर दी जा रही हैं। इन केन्द्रों की संख्या 3 हजार के पार पहुंच चुकी है। ‘दीनदयाल अमृत योजना’ के तहत 111 आउटलेट के माध्यम से 5,200 से अधिक जीवन-रक्षक ब्रांडेड दवाओं तथा सर्जिकल इम्प्लांट्स पर 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक की रियायत दी जा रही है। उन्होंने कहा कि दवाओं के साथ ही, हृदय रोगियों के लिए ‘स्टेंट’ की कीमत को 80 प्रतिशत तक कम किया गया है। घुटने के ऑपरेशन में लगने वाले इम्प्लांट की कीमत को भी नियंत्रित किया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम’ के माध्यम से 500 से अधिक जिलों में, रियायती दरों पर सवा 2 लाख मरीजों के लिए डायलिसिस के 22 लाख से ज्यादा सेशन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एमबीबीएस की 13 हजार सीटें तथा पीजी की 7 हजार से अधिक सीटें मंजूर की गई हैं।