नई दिल्ली, दिल्ली के एक अस्पताल में पिछले दिनों दो महिलाओं के गले के
ट्यूमर की दुर्लभ और मुश्किल सर्जरी सफलतापूर्वक की गयी जिसमें से एक
ऑपरेशन के उत्तर भारत में इस तरह का पहला मामला होने का दावा किया गया
है.
शालीमार बाग स्थित फोटर्सि अस्पताल में करीब 50 वर्षीय महिला के
गले में से सात सेंटीमीटर आकार का मैलिंगनेंट ट्यूमर छह घंटे की सर्जरी
करके निकाला गया। दूसरे मामले में 48 साल की महिला को निगलने में दर्द की
शिकायत हुई और सांस लेना भी मुश्किल हो गया। उन्हें आहारनाल में कैंसर का
पता चला। कीमोथैरेपी तक करा चुकीं मरीज को जब कोई फायदा नहीं हुआ तो छोटी
आंत के एक हिस्से का इस्तेमाल कर कई घंटे की सर्जरी करके मरीज को स्वस्थ
होने की नई आशा दी। नेक एंड थोरैक सजर्किल ओंकोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ
सुरेंद्र डबास के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इन चुनौतीपूर्ण सर्जरी
को अंजाम दिया जिनमें काफी खतरे की भी आशंका थी। डॉ डबास ने आज यहां
संवाददाताओं को बताया कि पहले मामले में महिला की चार सर्जरी हो चुकी
थीं, लेकिन गले का ट्यूमर पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ था और उसने मस्तिष्क
में रक्त ले जाने वाली धमनी को ढंकना शुरु कर दिया था। वह 1997 से इस
समस्या से जूझ रही थीं और पहली सर्जरी तभी कराई थी। 2015 में चौथी सर्जरी
के बाद कुछ महीने पहले ट्यूमर फिर उभर गया। अस्पताल की टीम ने बैलून
एंजियोप्लास्टी करके ट्यूमर से नर्व के दबने की जांच की। उन्होंने कहा
कि सात-आठ सेंटीमीटर के ट्यूमर को निकालने की सर्जरी करने के लिए सबसे
बडा खतरा था कि मरीज की आवाज तो आ जाती लेकिन उन्हें पैरालिसिस हो सकता
था। लेकिन जब मरीज के परिवार ने विश्वास जताया तो सर्जरी की गयी और रोगी
अब पूरी तरह स्वस्थ हैं.
डॉ डबास ने बताया कि उनकी आवाज स्पीच थैरेपी से धीरे धीरे ठीक हो
जाएगी। दूसरे मामले में 48 वर्षीय रोगी का खाना पीना भी मुश्किल हो गया
था। उनकी आहारनाल में कैंसर का पता चला। उनकी छोटी आंत से एक जेजुनल फ्री
फ्लैप निकालकर सर्जरी की गयी और इस समय रोगी डॉक्टरों की निगरानी में है
और स्वस्थ हैं.
डॉक्टर डबास ने बताया कि पहले मामले में रोगी को कैंसर दोबारा होने
का खतरा 30 प्रतिशत है जबकि दूसरे मामले में इसकी आशंका 50 प्रतिशत है.
इसके लिए डॉक्टरों की नियमित निगरानी जरुरी होगी।