सेटेलाइट के जरिए अब मच्छरों की ब्रीडिंग पर नजर रखी जाएगी। एनवीबीडीसीपी(राष्ट्रीय मच्छर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम) ने मच्छरों से बचाव के लिए यह पहल की है। बहुप्रतीक्षित इस योजना को इस साल लागू कर दिया जाएगा। जिसके जरिए दिल्ली में जोन के आधार पर मच्छरों की ब्रीडिंग कम या अधिक होने की भविष्यवाणी की जा सकेगी। इसके लिए एनसीडीसी राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान केन्द्र के साथ काम कर रहा है।
बीते साल एडीस के चलते चिकुनगुनिया और डेंगू मरीजों की संख्या को देखते हुए इस बार मच्छरों की ब्रीडिंग को नियंत्रित करने की नई योजनाओं पर काम किया जाएगा। जिसका जिम्मा अकेले दिल्ली नगर निगम का नहीं होगा। राष्ट्रीय मच्छर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के निदेशक डॉ. एसी धारीवाल ने बताया कि बचाव के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय अब बीमारियों के सर्विलांस पर अधिक ध्यान दे रहा है। जिससे बीमारियां बढ़ने से पहले ही रोकथाम की जा सके। इसी क्रम में एडीस मच्छरों को रोकने के लिए उनकी ब्रीडिंग पर नजर रखी जाएगी। जिसमें जलभराव और ऐसी कुछ चिन्हित जगह का खाका तैयार किया जाएगा जहां बीते कुछ सालों में सबसे अधिक ब्रीडिंग देखी गई। डॉ. धारीवाल ने बताया कि इंडीग्रेटेड डिसीस सर्विलांस कार्यक्रम के तहत एडीस के लार्वा की पहले से ही भविष्यवाणी की जा सकेगी।
कैसे मिलेगी पहले सूचना
राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) की मदद से इसरो द्वारा एडूसेट (एजूकेशन सेटेलाइट) को निर्माण भवन में स्थापित किया जाएगा। इस बावत केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी राष्ट्रीय स्तरीय कॉलेज, राज्य और जिलो को जोड़ने के लिए निर्माण भवन में सेटेलाइट लगाने की योजना है। हालांकि अभी सरकार एजूसेट के जरिए संक्रामक बीमारियों को राज्वार ब्यौरा इकठ्ठा करती है, जबकि डिसीस सर्विलांस संभव है स्वास्थ्य के लिए एक अलग सेटेलाइट स्थापित करेगा। जिससे व्यापक स्तर पर मच्छरों अधिक बीडिंग संभावित जगहों को चिन्हित किया जा सकेगा।