बिजली की खपत को कम करने के लिए एम्स ने निजी कंपनी के साथ करार किया है। जिसकी मदद से हर महीने 30 प्रतिशत तक बिजली बचाई जा सकती है। न्यू एनर्जी एंड इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (नीडो) की मदद से इस बावत एम्स में वर्ष 2015 से 2016 के बीच अध्ययन किया गया। जिसके सफल परिणाम देखने के बाद आईसीटी के तहत एम्स को ग्रीन अस्पताल के रूप में विकसित किया जाएगा।
संस्थान में तीन चरण पर बिजली बचाने के लिए ऑपरेशन थियेटर, सोलर पैनल और वार्ड में प्रारंभिक चरण का प्रोजेक्ट पर काम किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली की बचत के लिए एम्स में फोटोवाल्टेक पॉवर जेनरेशन प्लांट को लगाया जाएगा। जिसे आईसीटी (इंफारमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नॉलॉजी) आधारित ग्रीन अस्पताल भी कहा जाता है। संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि फोटोवाल्विक पॉवर जेनेरेशन सुविधा की मदद से मेडिकल इमेज के आधार पर डाटा तैयार किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में हीटिंग और कूलिंग तकनीक की मदद से न सिर्फ बिजली की खपत को कम किया जाएगा, बल्कि 30 प्रतिशत बिजली बचाई भी जा सकेगी। एम्स में प्रोजेक्ट का सफल प्रयोग करने के बाद इसके अन्य अस्पतालों में लागू किया जाएगा।