मौसम में हल्की ठंड ने दस्तक दे दी है। दोपहर की धुंधली धूप और शाम को कम होते तापमान ने फ्लू का खतरा भी बढ़ा दिया है। वायरल बुखार सहित इस समय तीन दिन से अधिक दिन का जुखाम फ्लू के वायरस की वजह से हो सकता है, जिसको नजदअंदाज करना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है। कुछ बेहद छोटी और जरूरी एहतियात के साथ सर्दी के मौसम को स्वस्थ रहकर बिताया जा सकता है।
एम्स के इंटरनल मेडिसन विभाग के प्रमुख डॉ. रनदीप गुुलेरिया कहते हैं कि दस साल से कम उम्र के बच्चे और 58 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गो पर फ्लू वायरस का आसानी से असर होता है। इस समय रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वायरस तेजी से रोगों से लड़ने वाले सेल्स को खत्म करने लगती है। बेहतर है कि किसी भी मौसम के बदलने से पहले फ्लू वैक्सीन लगवा ली जाएं, जिसका स्टेन वायरस के स्टेन के अनुसार हो। साधारण जुखाम श्वसन संबंधी संक्रमण हो सकता है, जबकि इंफ्लूएंजा का असर अपर रेस्पेरटरी ट्रैक्ट को संक्रमित करता है। जुखाम की गंभीर स्थिति में निमोनिया हो सकता है। जिससे संक्रमण मस्तिष्क में पहुंच जाता है। फ्लू संबंधी जानकारी कम होने के कारण भारत में लोग एएलआरआई एक्यूट लोवर रेस्पेरेटरी इंफेक्शन के शुरूआती लक्षण नहीं पहचान पाते हैं। डायबिटीज और सीओपीडी के मरीजों को भी फ्लू वायरस से सावधान रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि मौसम बदलने से पहले फ्लू वैक्सीन वैक्सी ग्रिप लगावा लें। आयुर्वेदाचार्य डॉ. आरपी पराशर ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करना बीमारियों से बचने का सबसे बेहतरीन उपाय है, इसलिए सर्दियां शुरू होने से पहले ही खाने में विटामिन सी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
क्या है जुखाम
जुखाम के कई कारण होते हैं कई लोगों को कुछ विशेष तरह की एलर्जी जैसे धूल व धुंए से भी जुखाम हो जाता है। रनिंग नोज या फिर बहती नाक की स्थिति तीन दिन से अधिक हो तो सावधान हो जाएं। मौसम बदलने के समय होने वाले जुखाम के लिए वायरस को जिम्मेदार माना गया है। इसमें प्रमुख दस तरह के फ्लू अपर रेस्पेरेटरी टै्रक्ट को संक्रमित करते हैं। बार-बार जिसका संक्रमण होने से मरीज को साइनस की तकलीफ हो सकती है। इसमें नाक के अंदरूनी हिस्से मकोका में सूजन बढ़ जाती है और मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत होती है। जुखाम से बचने के लिए दवाओं से अधिक नेजल स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए।
कितना है घातक
जुखाम के साथ आने वाली छींक को नजरअंदाज न करें, एक छींक से निकलने वाले ड्रापलेट में पांच हजार से अधिक फ्लू वायरस होते है। छींक के साथ निकलने वाले यह वायरस 100 मीटर तक फैलते है, जिससे दूसरों को भी बीमार हो सकते हैं।
क्या बरतें सावधानी
-जुखाम है तो सार्वजनिक जगह पर मुंह पर रूमाल रख कर छींके
-साबुन से हाथ अच्छी तरह धोंए, साबुन व तौलिए को अलग रखें
-छोटे बच्चों से दूर रहें या फिर उन्हें पास न आने दें
-मुंह पर रूमाल या फिर मास्क लगाएं, वैक्सी ग्रिप वैक्सीन लगवाएं।