नई दिल्ली,
देशभर में अधिकांश लोग अब एक या दो बच्चों के परिवार को पसंद कर रहे है। परिवार नियोजन का यह ट्रेड ताजा फैमिली सर्वेक्षण (National Family Health Survey five ) पांच में देखने को मिला। मामलू हो कि लगभग सभी राज्यों में प्रति एक हजार पुरूषों के महिलाओं की संख्या भी 1020 या इससे अधिक देखी गई। राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार महिलाओं की संख्या पुरूषों से अधिक देखी गई है। हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सचिव राजेश भूषण के द्वारा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण पांच जारी किया गया। रिपोर्ट में 14 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के जनसंख्या, प्रजनन, बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण एवं अन्य प्रमुख संकेतकों पर रिपोर्ट जारी की गई। पहली पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण, बाल टीकाकरण, मासिक धर्म स्वच्छता, शराब का सेवन, बचत खाते की जानकारी, इंटरनेट का प्रयोग आदि नये बिंदुओं को शामिल किया गया है। ताजा फैमिली सर्वेक्षण के अनुसाद देश में महिलाओं की औसत प्रजनन दर कम हुई है अब अधिकांश परिवार दो बच्चों के सीमित परिवार को बढ़ावा दे रहे हैं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण पांच के अनुसार भारत में कुल प्रजनन दर (टीएफआर Total Fertility rate) राष्ट्रीय स्तर पर प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है और सभी 14 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ में 1.4 से लेकर उत्तर प्रदेश में 2.4 हो गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी दूसरे चरण के सर्वेक्षण में राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है। समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण-कक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से 67 प्रतिशत तक बढ़ गई है। लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है। परिवार नियोजन (Family Planning) की अधूरी जरूरतों में अखिल भारतीय स्तर पर और दूसरे चरण के अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। अंतराल की अपूर्ण आवश्यकता जो अतीत में भारत में एक प्रमुख मुद्दा बनी हुई थी, झारखंड (12 प्रतिशत) अरुणाचल प्रदेश (13 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (13 प्रतिशत) को छोड़कर सभी राज्यों में घटकर 10 प्रतिशत से कम हो गई है। 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच पूर्ण टीकाकरण (Routine Immunization Program )अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है। 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12-23 महीने की आयु के पूर्ण टीकाकरण वाले तीन-चौथाई से अधिक बच्चे हैं और यह ओडिशा के लिए अधिकतम (90 प्रतिशत) है। देशभर में संस्थागत प्रसव या अस्पतालों में होने वाली डिलीवरी या प्रसव का आंकड़ा भी पहले से कहीं अधिक बेहतर देखा गया है। चौथे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण में संस्थागत प्रसव (Institutional Delivery )का प्रतिशत 79 प्रतिशत था जो पांचवे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण में बढ़कर 89 प्रतिशत हो गया है। पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में अस्पतालों में प्रसव 100 प्रतिशत है और दूसरे चरण के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से अधिक है।
मालूम हो कि इस बार नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण को दो चरणों में जारी किया गया है। दूसरे में जिन राज्यों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया है वह है वह हैं अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, ओडिशा, पुद्दुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। जबकि पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में एनएफएचएस-5 के निष्कर्ष दिसंबर, 2020 में जारी किए गए थे। एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण कार्य देश के 707 जिलों (मार्च, 2017 तक) के लगभग 6.1 लाख नमूना परिवारों में किया गया है, जिसमें जिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 724,115 महिलाओं और 101,839 पुरुषों को शामिल किया गया।