नई दिल्ली,
देशभर में बलात्कार पीड़ितों की सहायता के लिए वन स्टॉप रेस्क्यू सेंटर खुलने के बाद आखिरकार एम्स ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है। एम्स द्वारा दिए गए प्रस्ताव की महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुमति मिल चुकी है, फाइल को अब केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भेजा गया है। जहां से स्वीकृति मिलने के बाद एम्स में इस शोध केन्द्र का काम शुरू हो जाएगा।
एम्स के इस वन स्टॉप रेस्क्यू केन्द्र को शोध केन्द्र इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि पहली बार इस केन्द्र पर बलात्कार से पीड़ित महिलाओं की शारीरिक परेशानी के साथ ही मानसिक पहलू पर भी ध्यान दिया जाएगा। केन्द्र को संस्थान के फारेंसिक सेंटर में शुरू किया जाएगा। फारेंसिक विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक यादव ने बताया कि यह देश का पहला ऐसा केन्द्र होगा जिसमें बलात्कार की घटना के समय के सैंपल की मात्र तीस मिनट मे जांच रिपोर्ट उपलब्ध हो सकेगी, अभी तक अधिकांश मामलों में आरोपी इसलिए भी बच जाते हैं क्योंकि वैजाइनल सीरम और अन्य लिक्विट सैंपल सही समय पर लैबारेटरी तक नहीं पहुंचते हैं। डॉ. यादव कहते हैं कि बलात्कार से जुड़े सभी सैंपलों की जांच 30 दिन के भीतर आ सकती हैं, लेकिन अभी पुलिस इस काम के लिए रोहिणी की एक मात्र आईसीएफएल लैब पर ही निर्भर रहती है। एम्स के इस शोध केन्द्र में दस डॉक्टर, दो साइंटिस्ट, छह लैब तकनीशियन, आठ महिला नर्स और कम्यूटर ऑपरेटर तैनात होगें, इस केन्द्र पर पीड़िता के लिए कपड़े बदलने और नहाने की भी व्यवस्था होगी। अधिकतर ऐसी मामलों में महिलाओं को निजता का डर रहता है, यहां उन्हें पूरी प्राइवेसी मिलेगी। सबसे अहम यह है कि इस केन्द्र पर बलात्कार के बाद महिला और बच्चियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन किया जाएगा, जिसका असर पता नहीं चलता है।