नई दिल्ली: एक नवीनतम अध्ययन के अनुसार, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन तनाव को कम करने और स्ट्रोक का सामना करने में कारगर तरीका साबित हो सकता है। जिन लोगों ने हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक खायी थीं, उनमें स्ट्रोक का जोखिम 64 प्रतिशत कम पाया गया। शोधकर्ताओं ने 682 ऐसे रोगियों का अध्ययन किया, जिन्हें कभी न कभी मस्ति-ुनवजयक में रक्तस्राव हुआ था।
स्ट्रोक तब होता है जब मस्ति-ुनवजयक के किसी हिस्से में खून की आपूर्ति बाधित होती है या गंभीर रूप से कम हो जाती है। इससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। कुछ ही मिनटों के भीतर मस्तिष्क की कोशिकाएं मरनी शुरू हो जाए तो यह एक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है, जिसका तत्काल उपचार महत्वपूर्ण है। तीव्र कार्रवाई मस्तिष्क की क्षति और संभावित जटिलताओं को कम कर सकती है।
इस बारे में बताते हुए, हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा, ‘किसी धमनी मे रुकावट (इस्कीमिक स्ट्रोक) स्ट्रोक का कारण हो सकती है या फिर यह किसी रक्त वाहिका (हीमरेजिक स्ट्रोक) के लीक होने से भी हो सकता है। कुछ लोगों को केवल उनके मस्तिष्क को रक्त के प्रवाह में एक अस्थायी रुकावट का अनुभव हो सकता है। टीआईए को मिनी स्ट्रोक के रूप में भी जाना जाता है। इसमें भी एक स्ट्रोक जैसे ही लक्षण एक संक्षिप्त अवधि के लिए सामने आते हैं। आपके मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति यदि अस्थायी तौर पर बाधित हो तो टीआईए हो सकता है, जो अक्सर पांच मिनट से कम समय तक रहता है। एक इस्केमिक स्ट्रोक की तरह, एक टीआईए तब होता है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में एक थक्का जमा हो जाता है। टीआईए स्थायी लक्षण नहीं छोड़ता, क्योंकि यह रुकावट अस्थायी है।
स्ट्रोक के चेतावनी संकेत हैं: चेहरा लटक जाना, हाथों मं कमजोरी, बोलने में कठिनाई, और आपातकालीन स्थिति। स्ट्रोक के कारण होने वाली अक्षमता अस्थायी या स्थायी हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कितने समय रुका रहा और कौन सा भाग प्रभावित हुआ।
डॉक्टर अग्रवाल ने आगे बताया, ‘स्ट्रोक एक आपातकालीन स्तिथि है और इसमें समय पर सहायता मिलना और उपचार होना बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए, इन रोगियों की पहचान करने के लिए तेजी से कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक उपचार ठीक होने की संभावना को ब-सजय़ा सकता है। हालांकि कोई नस्ल, लिंग और जेनेटिक कारकों को नियंत्रित नहीं कर सकता, लेकिन जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करना संभव है, जिससे एक युवा उम्र के किसी व्यक्ति में स्ट्रोक होने की संभावना को कम कर सकता है।
यह जान लें: स्ट्रोक को रोका जा सकता है। लगभग 90 स्ट्रोक का संबंध 10 जोखिम वाले कारकों से होता है, जिनमें बदलाव किया जा सकता है। स्ट्रोक को रोकने के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं
: उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करें
: सप्ताह में 5 बार व्यायाम करें
: फलों व सब्जियों से युक्त एक स्वस्थ संतुलित आहार खाएं
: अपने कोलेस्ट्रॉल को कम करें
: एक स्वस्थ बीएमआई बनाए रखें
: धूम्रपान न करें और ऐसे वातावरण से दूर रहें
: शराब का सेवन कम करें
: एट्रियल फिब्रिलेशन को पहचानें और उसका इलाज करें
: मधुमेह को लेकर अपने जोखिम कम करने के लिए डॉक्टर से बात करें
: स्ट्रोक के बारे में जानकारी रखें