मिर्गी के मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए एम्स ने एक नया प्रयोग किया, जिसमें चिकित्सकों को सफलता थी मिली। दरअसल अब तक परिजनों को केवल इस बात की हिदायत दी जाती थी कि मिर्गी का दौरा आने पर मरीज को सीधा लिटाया जाएं, दवा दी जाएं या फिर खुली हवा में रखा जाएं, लेकिन इस बार यह सब कुछ न करने की जगह परिजनों को मिर्गी का दौरा आने पर मरीज की वीडियो फुटेज बनाने के लिए कहा गया। एम्स के इस प्रयोग के बाद ऐसे मरीजों का चयन किया गया जिन्हें वास्तव में वीग (वीडियो इलेक्ट्रोइंसेफेलॉजी) इलाज की जरूरत थी।
वीडियो फुटेज के आधार पर इलाज की दिशा तय करने से मरीजों के इंतजार की सूची को भी कम किया जा सका। न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा किया गया एम्स का शोधपत्र अप्रैल महीने के एपिलेप्सी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि मिर्गी के शिकार मरीजों की केस हिस्ट्री जानने के लिए वीडियो फुटेज तैयार कराई गई। दरअसल यह सभी मरीज मिर्गी के इलाज में दिये जाने वाले वीग वीडियो इलेक्ट्रोइंसेफेलॉजी की प्रतीक्षा सूची में शामिल थे। एपिलेप्सी मॉनिटरिंग यूनिट द्वारा मिर्गी के 420 मरीजों के परिजनों को दौरा आने पर रिकार्डिंग करने के लिए कहा गया या फिर मरीज के कमने में सीवीटीवी कैमरा लगाने की सलाह दी गई। परिजनों को दौरे के समय 29 बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया, जिसमें हाथों व मुंह की गतिविधि, बोलने में अक्षमता, मिर्गी का समय, हाथ और पैर में जकड़न आदि शामिल किए गए। तीन चरण में की गई मॉनिटरिंग में परिजनों को फुटेज बनाने के लिए कहा गया, जिसमें दो बेहतर फुटेज को परिक्षण के लिए लिया गया, दूसरे चरण में प्रश्नों के आधार पर मरीज की बीमारी का विश्लेषण किया गया। तीसरे में चरण में ऐसे मरीजों का चयन किया गया जिसमें मिर्गी के दौरो की गंभीरता के आधार पर वीग जांच के लिए रखा गया। डॉ. मंजरी ने बताया कि अध्ययन के परिणाम में 312 मरीजों को गंभीर मिर्गी के दौरे के दायरे में रखा गया।
क्या हुआ फायदा
– मोबाइल फोन की मदद से दौरे की सही स्थिति का पता लगाया जा सका
– केवल उन्हीं मरीजों का वीग और पीएनईएस इलाज के दायरे में रखा गया, जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत थी
– मिर्गी के शिकार मरीज अकसर अपनी बीमारी को चिकित्सक तक सही ढंग से नहीं पहुंचा पाते
– दौरो की फुटेज के आधार पर बीमारी की श्रेणी निर्धारित की गई
– इलाज की इस नई तकनीक से मरीजों की प्रतीक्षा सूची को भी कम किया गया