नई दिल्ली
सफदरजंग अस्पताल ने टाइप वन डायबिटिज (type 1 diabetes) के शिकार बच्चों के लिए एक सराहनीय शुरूआत की है। पीडियाट्रिक्ट विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से अस्पताल में इलाज कराने वाले टाइप वन डायबिटिज के बच्चों को इंसुलिन और ग्लूकोमीटर पेन निशुल्क दिया जाएगा। अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के एंडोक्रायनोलॉजी क्लीनिक में टाइप वन डायबिटज के शिकार रोजाना 350 से 400 बच्चों का इलाज किया जाता है तथा हर महीने 8-10 बच्चों में टाइप वन डायबिटिज की पहचान होती है।
टाइप वन डायबिटिज में बच्चों को जन्म से ही या जन्म के कुछ साल बाद ही डायबिटिज हो जाती है इसे इंसुलिन डेपेंडेंट डायबिटिज भी कहा जाता है, ऐसे बच्चों के खून में शर्करा का स्तर तुरंत कम हो जाता है, इसलिए इन्हें इंसुलिन पर निर्भर रहने वाले डायबिटिक मरीज भी कहा जाता है। अब ओपीडी में हर बच्चे को एक इंसुलिन लगाने में कम से कम चार से पांच मिनट का समय लगता है, यह काफी कष्टकारी और समय लेने वाली प्रक्रिया होती है। अकसर इस तरह से इंसुलिन लेने में लिपोडायस्ट्राफी होने की भी संभावना होती है, यह वह स्थिति होती है जबकि मरीज के शरीर में एक ही जगह पर इंसुलिन लगाई जाती है, इससे वसा का जमाव एक ही जगह हो जाता है, यह एक तरह का त्वचा संक्रमण होता है। जबकि इंसुलिन पेन से इन सारी जटिलताओं को कम किया जा सकता है। सफदरजंग अस्पताल ओर वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना तलवार के प्रयासों से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस पहल को अंजाम दिया है।
अस्पताल के पीडियाट्रिक इंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ जयंती मणि और डॉ रतन गुप्ता की समर्पित टीम की सहायता से डायबिटिज के शिकार बच्चों को यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। टाइप वन डायबिटिज के बच्चों के लिए शुरू गई आधुनिक इंसुलिन उपकरण यानि इंसुलिन पेन और ग्लूकोमीटर सुविधा की शुरूआत इसी टीम के डॉ केआर मीणा और डॉ भावना आनंद का विशेष योगदान है। क्लीनिक के वरिष्ठ चिकित्सकों ने मंत्रालय और अस्पताल की टाइप वन डायबिटिज के शिकार बच्चों के लिए शुरू की गई इस पहल की सराहना की।
अस्पताल से इलाज करा रहे सभी बच्चों को दिया जाएगा इंसुलिन पेन
सफदरजंग अस्पातल के पीडियाट्रक्स विभाग के एंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ रतन गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार ने पहली बार गरीब बच्चों के लिए इंसुलिन पैन, ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप देने की पहल की है. सफदरजंग पहला अस्पताल है, जहां से शुरुआत की जा रही है. अस्पताल में जितने भी बच्चे क्लिनिक में रजिस्टर्ड हैं, सभी को यह किट दी गई है और आगे भी दी जाएगी.. अभी तक यह प्राइवेट अस्पतालों में पैसे से दी जाती थीं..