नई दिल्ली,
कोविड की आपात स्थिति को देखते हुए देश की स्वास्थ्य सुविधा के बुनियादी ढांचे को मजबूत किए जाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। अगले पांच साल के लिए सरकार ब्लॉक स्तर पर चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरूआत की गई है। अन्य मूलभत सुधार के साथ ही योजना के तहत मोबाइल कंटनेशन अस्पताल की परिकल्पना को भी साकार किया जाएगा। कंटेनर अस्पताल को जरूरत पड़ने पर कहीं भी एअर लिफ्ट या फिर ट्रेन से पहुंचाया जा सकेगा। बीमारी के अलावा किसी भी आपात स्थिति जैसे बाढ़, चक्रवात, भूकंप आदि में भी कंटेनर की सहायता से आपात चिकित्सा सहायता पहुंचाई जा सकेगी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि अगले पांच साल में देश के चिकित्सीय सेवा ढांचे में आधारभूत सुधार किया जाएगा। जहां अस्पताल नहीं है वहां नये अस्पताल बनाएं जाएगें और जो अस्पताल हैं उन्हें अधिक बेहतर किया जाएगा। कोविड के समय में देश ने आपात चिकित्सा सहायता की जरूरत को महसूस किया, इसलिए सरकार ने दो कंटेनर अस्पताल बनवाने का प्रस्ताव रखा है। एक कंटेनर अस्पताल में सौ बेड की चिकित्सीय सहायता मेडिकल स्टॉफ सहित उपलब्ध होगी। इसे एअर लिफ्ट कराके जरूरत पड़ने पर कहीं भी पहुंचाया जा सकेगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार केवल बीमारी होने पर इलाज उपलब्ध कराने के पैटर्न पर काम नहीं करेगी, बल्कि प्रीवेंटिव हेल्थ पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर वेलनेस सेंटर शुरू किए जाएगें। इसके साथ ही किसी भी नये वायरस की पहचान के लिए प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा, जिससे किसी भी नये वायरस का हमला होने पर उसे तुरंत पहचाना जा सके।
मालूम हो कि दिल्ली सहित पूरे देश में कोविड के पीक समय में बेड की जबरदस्त कमी देखी गई। ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की कमी के कारण बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी। दिल्ली में बेंक्वेट हॉल व बारात घर में बेड लगाए गए। सरकार कंटेनर अस्पताल की अवधारण कुछ हद तक इस समस्या को हल कर सकती है।
फील्ड अस्पताल या कंटेनर की अवधारणा हो सकती है बेहतर
समर्पित कोविड फिल्ड अस्पतालोां को स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है। और यह कोविड संक्रमण या किसी भी आपदा की स्थिति में इलाज पहुंचाने के लिए बेहतर प्रयोग साबित हो सकता है। यूएई सहित मिडिल ईस्ट के कई देशों ने कोविड मरीजों के इलाज के लिए फील्ड अस्पतालों के प्रयोग को न सिर्फ सफलतापूर्वक अपनाया, बल्कि इस प्रयोग के माध्यम से इन देशों ने पुरानी बीमारियों का इलाज कर रहे मरीजों के इलाज को भी प्रभावित नहीं होने दिया। इन अस्पतालों में सभी तरह की आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं और उपकरणों की व्यवस्था की जाती है, जिससे कोविड मरीजों को बेहतर इलाज दिया जाता है। इन अस्थाई कोविड फिल्ड अस्पतालों को दस साल तक आसानी से संचालित किया जा सकता है, इसका एक अन्य फायदा यह भी होगा कि समर्पित कोविड अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की केस हिस्ट्री के जरिए इस बात पर शोध किया जा सकेगा कि कोरोना वायरस ने आम लोगों के स्वास्थ्य को दीर्घगामी किस तरह प्रभावित किया या वायरस का असर कैसा था? जैसा कि हमने पिछले एक साल के अनुभव से अब तक देखा है कि अधिकांश मरीजों में कोरोना वायरस श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, जिसका असर निमोनिया के रूप में सामने आया, और मरीज का इस स्थिति में यदि सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह फेफड़ों को पूरी तरह खराब कर देता है और ऐसे हालात में मरीज को तुरंत आईसीयू बेड की आवश्यकता होती है।
यूएई के इन कोविड फिल्ड अस्पताल में 24 घंटे पल्मोनोलॉजिस्ट, इंटरनल मेडिसीन विशेषज्ञ और कोविड इलाज के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम को तैनात किया गया। इन अस्पतालों की आईसीयू को जरूरी उपकरणों से लैस किया गया, अस्पताल के एक हिस्से में ऑक्सीजन कंसंटे्रटर लगाया गया, जिसे कोविड के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में प्रयोग किया गया।
क्या हो सकती हैं चुनौतियां
कंटेनर अस्पताल में इलाज में अन्य पहलूओं पर भी ध्यान देना जरूरी है जैसे कि जांच, जिसे डिजिटल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी की मदद से आसान किया जा सकता है। उदाहरण के लिए र्पोटेबल बेड साइड एक्सरे और अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन लगाकर इससे प्राप्त इमेज या रिपोर्ट को उसी समय अस्पताल में बैठे रेडियोलॉजिस्ट को डिजीटली भेजी जा सकती हैं। इसी तरह कोविड फिल्ड अस्पताल में खून और यूरीन का भी सैंपल लिया जा सकता है, और जांच के लिए इसे नजदीक की लैबारेटरी में भेजा जा सकता है। इस तरह स्मार्ट, कम जगह और कम मानव संसाधन के प्रयोग से शुरू किए गए कोविड फिल्ड अस्पताल से कोविड के इलाज में आने वाले खर्च को तीस से चालीस प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि यदि किसी कोविड पॉजिटिव मरीज का इलाज सामान्य अस्पताल में किया जाता है तो उसके इलाज में अस्पताल की अन्य मदों पर खर्च होने वाला व्यय भी जोड़ा जाता है, जिसमें ऑपरेशन थियेटर, रेडियोलॉजी लैब, बिजली आदि, जबकि कोविड फिल्ड अस्पताल में मरीज से केवल उन्ही मदों के व्यय का शुल्क लिया जाएगा जिसका उनके इलाज में प्रयोग किया गया।